पत्नी के पैसे नहीं देने पर रूठकर डेम में उतरा, सेना ने हेलीकॉप्टर से बचाया तो कहा मजा आ गया
मैं बीमारी की वजह से कुछ काम नहीं करता। जब पत्नी से पैसे मांगता हूं बस झगड़ा हो जाता है। दो रोज पहले भी यही हुआ था। पत्नी ने इस बार पैसे देने से मना किया तो गुस्से में डेम में उतर गया।;
मैं बीमारी की वजह से कुछ काम नहीं करता। जब पत्नी से पैसे मांगता हूं बस झगड़ा हो जाता है। दो रोज पहले भी यही हुआ था। पत्नी ने इस बार पैसे देने से मना किया तो गुस्से में डेम में उतर गया। उम्मीद नहीं थी कि डेम में पानी इतनी रफ्तार से बहेगा कि बात जान पर आ जाएगी। कुछ देर तो पत्थर पर बैठा रहा। बाद में बहाव से डर लगा तो झाड़ी की टहनी पकड़ ली। शुक्र है एयरफोर्स का हैलीकाप्टर पहुंचा।
डेम से बाहर करने पर जान में जान आई... यह कहना है जितेंद्र कश्यप कहा, जिसे हेलीकाप्टर से बचाने रेस्क्यू ऑपरेशन प्रदेश के साथ देशभर में सुर्खियों में रहा। डेम तक जाने और फिर जान जोखिम में डालने का पूरा वाकया सुनाते हुए जितेंद्र ने कहा, रायपुर में उपचार हो रहा तब ठीक-ठाक लग रहा। पहली बार हेलीकाप्टर में बैठने को मौका मिला जो बहुत ही सुखद पल था।
रविवार को बिलासपुर इलाके के गिधौरी गांव ताल्लुक रखने वाले जितेंद्र कश्यप को सोमवार को उफनती नदी से बचाए जाने की उम्मीद कम थी लेकिन पुलिस और फिर इंडियन एयरफोर्स के हेलीकाप्टर का सहारा मिला। हरिभूमि के संपर्क करने पर पुलिस ने जितेंद्र से जुड़ी बाकी कहानी का खुलासा किया।
छत्तीसगढ़ी में कहा, मोला बने लागिस
जितेंद्र के रायपुर रामकृष्ण अस्पताल पहुंचने के बाद मीडिया से रूबरू होने का मौका मिला तब जितेंद्र ने छत्तीसगढ़ी में बात करते हुए कहा, मोला बने लागिस..। ये पल बहुत यादगार हे भाई। फोर्स के जान बचाए के प्रयास ला कभी नहीं भुलव। जितेंद्र ने कहा मैं ठीक हूं, अस्पताल में मेरा और मेरी सेहत का ध्यान रखा जा रहा है।
डेम में उतरने की यह बताई कहानी
जितेंद्र ने यहां तक पहुंचने का राज खोलते हुए कहा, 5 साल से बीमार रहने के बाद पत्नी ही घर का गुजारा करती है। रोजी मजदूरी करके परिवार पालती है। उसे पैेसे की जरूरत थी तब मांग की। लेकिन जब पत्नी ने मना किया, वह नाराज हो गया। डेम आने पर मन किया उतरने का तो लहरों के बीच चला गया।