वायरल ने बदला रूप, बुखार यानी हफ्तेभर का दर्द, अस्पतालों में बढ़ी भीड़, हर उम्र के लोग हो रहे शिकार

वर्तमान में सभी अस्पतालों में मौसमी बुखार से पीड़ितों की संख्या काफी अधिक हो गई है। आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग में रोजाना सौ के करीब मरीज इसी समस्या के साथ पहुंच रहे हैं। इसी तरह जिला अस्पताल से लेकर अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में बुखार से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं।;

Update: 2021-10-01 03:00 GMT

रायपुर. बदलते मौसम में हमला करने वाला वायरल इस बार अपना रूप बदलकर आया है। सामान्य दिनों में दो से तीन दिनों तक ठीक हो जाने वाला बुखार अब सप्ताहभर तक पीछा नहीं छोड़ रहा है। इस मौसमी मार के हर उम्र के लोग शिकार हो रहे हैं। प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने की वजह युवा और अधेड़ तो ठीक हो जा रहे हैं, मगर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आने लगी है।

मौसम में बदलाव का प्रतिकूल असर मानव शरीर पर पड़ता है, जिसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है वे वायरल का शिकार नहीं होते। शेष लोगों में सर्दी-खांसी, बुखार जैसी समस्या आने लगती है। पिछले कुछ समय से इसी तरह की समस्या से लोग काफी पीड़ित हैं और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।

विशेषज्ञों के मुताबिक बदलते मौसम में तबीयत खराब होने की समस्या सालों से चली आ रही है, मगर वायरल का बदलाव विपरीत असर डालता है। इस बार भी वायरल से स्वरूप में बदलाव होने की आशंका है, क्योंकि होने वाला बुखार सप्ताहभर तक पीछा नहीं छोड़ रहा है और बिना अस्पताल जाए उतर भी नहीं रहा है। वर्तमान में सभी अस्पतालों में मौसमी बुखार से पीड़ितों की संख्या काफी अधिक हो गई है। आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग में रोजाना सौ के करीब मरीज इसी समस्या के साथ पहुंच रहे हैं। इसी तरह जिला अस्पताल से लेकर अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में बुखार से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं।

वायरल समय-समय पर अपने स्वरूप में बदलाव करता है। अभी होेने वाला बुखार सप्ताहभर बाद ही ठीक हो रहा है, जो वायरल के स्वभाव मेें बदलाव की ओर इशारा करता है। अस्पताल में अभी बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं।

- डाॅ. आरएल खरे, विशेषज्ञ, मेडिसिन विभाग, आंबेडकर अस्पताल

ओपीडी में बड़ी संख्या में बच्चे सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं। कई की स्थिति गंभीर होने पर उन्हें भर्ती भी करना पड़ रहा है। इस बार होने वाला बुखार काफी दिन बाद ही उतर रहा है।

- डाॅ. निलय मोझरकर, प्रभारी, शिशु रोग हास्पिटल

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