आइये देखें छत्तीसगढ़ : भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक शदाणी दरबार
आइये देखें छत्तीसगढ़ में इस बार हम आपको बता रहे हैं, राजधानी रायपुर के देवपुरी में स्थित शदाणी दरबार के बारे में, जो संत शदाराम महाराज की पुण्य स्मृति में बनाया गया है। 17 वीं शताब्दी के महान संत शदाराम जी का शदाणी दरबार सिंधु समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र है।;
संत शदाराम महाराज की पुण्य स्मृति में निर्मित पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ आज न केवल छत्तीसगढ़ का बल्कि पूरे भारत में सिंधु समाज का एक प्रमुख धार्मिक आस्था का केन्द्र माना जाता है। 17वीं शताब्दी के महान संत शदाराम जी का शदाणी दरबार सिंधु समाज का प्रमुख धार्मिक पर्यटन एवं तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है। लगभग 12 एकड़ में विस्तृत चहारदीवारी से घिरा हुआ मध्य में स्थित शदाणी दरबार मंदिर भव्य एवं कलात्मक है। इस मंदिर का निर्माण सिन्धु सम्प्रदाय के अष्टम संत गोविंदराम जी महाराज ने 1990 में अपनी देख-रेख में करवाया था|
शिव के अवतार माने जाते हैं संत शदाराम
संत शदाराम जी महाराज का जन्म पंजाब के लाहौर शहर में एक लोहाणा खत्री के घर में 1708 ईस्वी में हुआ था। अपनी अलौकिक शक्ति से लोक कल्याण, परोपकार के कार्य और रामनाम का प्रचार करते थे। कहा जाता है कि संत महाराज जी लाहौर, मुल्तान में धर्म प्रचार करने के बाद पशुपतिनाथ मंदिर, हरिद्वार, दिल्लीण, कुरुक्षेत्र, पानीपत पुष्कर राज तीर्थ होकर राजस्थान होते हुए ऐतिहासिक नगर माथेलो (सिंध) में वर्ष 1768 में पधारे। वे उसी शिव मंदिर में रूके और उनके द्वारा वहां धुनी रमाकर तपस्या करने और ईश्वर भक्ति के प्रचार-प्रसार करने से वहां का वातावरण सुख-शांति एवं सदाचार से भरपूर होता चला गया। हिन्दुओं एवं मुस्लिमों में एकता और हिम्मत बढ़ती गई। परिणाम हुआ कि अत्याचारी शासक गुलाम शाह के शासन का अंत हो गया। संत शदाराम जी शिव अवतारी कहलाने लगे।
आज भी कायम है आशीर्वाद
सन 1786 में संत शदाराम जी पाकिस्तान में सिंध प्रांत के मीरपुर इलाके में स्थित हयात पिताफी नामक स्थान में पहुंचे और वहीं स्थायी डेरा बनाने के उद्देश्य से गांव के मध्य में शदाणी दरबार (मंदिर) बनवाया। वे धुनी जमाकर धर्म-कर्म और लोक कल्याण के कार्यों में जुट गए। परलोक गमन के पूर्व अपने प्रिय शिष्य तुलसीदास जी (द्वितीय संत) को आशीर्वाद दिया कि जब तक पृथ्वी कायम है, ये स्थान (हयात पिताफी) अमर और कायम रहेगा। जो भी इंसान किसी कष्ट या बीमारी के समय श्रद्धापूर्वक धुणी यानी भभूत अपने मस्तक पर लगायेगा और जल में मिलाकर पीयेगा तो उसके कष्ट तथा बीमारियां उनसे दूर हो जायेगी। कहा जाता है कि संत शदाराम जी महाराज का आशीर्वाद आज भी कायम है।
संतो की सूची
प्रथम-संत शदाराम साहिम (1708-1793),
द्वितीय संत तुलसीदास साहिब (1703-1799),
तृतीय-संत तखतलाल जी, हजूरी साहिब,
चतुर्थ-संत तनसुखराम साहिब (1804-1852),
पंचम माता हासी देवी साहिब,
षष्ठम-संत मंगलाराम साहिब (1885-1932),
सप्तम-संत राजाराम साहिब (1882–1960),
अष्टम-संत गोविंदराम साहिब
संत गोविंदराम ने करवाया निर्माण
नवम-संत युधिष्ठिर लाल साहिब, वर्तमान में विराजमान हैं। अष्टम संत गोविंदराम जी महाराज सन् 1969 में पहले पंडरी रायपुर में स्थित पूज्य शदाणी दरबाज में पधारे, जो उनके शिष्यों ने (भाई संतराम दास एवं भाई हरदास राम) आदि के देखरेख में 1960 में बनवाया गया। पूज्य संत शदाराम की स्मृति में रायपुर में सन् 1990 में भव्य शदाणी दरबार का निर्माण करावाया गया।
गर्भगृह में दुख भंजन धुणी
दरबार के गर्भगृह में पवित्र एवं दुख-भंजन धुणी साहब स्थित है | इसके संबंध में ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इसकी पवित्र धुणी (भभूत) तथा अमृत (जल) का सेवन पूर्ण श्रद्धा-भक्ति एवं प्रेम से करता है, उसके समस्त दुख-दर्द स्वस्फूर्त हरण होंगे। साथ ही गर्भगृह में ही भीतर तथा बाहर दांयी और बांयी ओर शदाणी दरबार के आठ पूर्व परम संतो की संगमरमर से निर्मित जीवंत मूर्तियां स्थापित की गयी।
गुरू ग्रंथ साहिब भी विराजमान
यहां गुरू ग्रंथ साहिब भी विराजमान हैं। इसके साथ ही चार वेद और पुराण भी विराजित किए गए हैं। दाहिने कोने पर पंचम संत पूज्य माता हासी देवी की ऐतिहासिक खाट साहिब विराजमान हैं। इस दरबार तीर्थ में चारों ओर वैदिक काल के ऋषि-मुनियों की मूर्तियां छोटे-छोटे मंदिरों में स्थापित है। मुख्य मंदिर के दोनों तरफ भगवान कृष्ण एवं माता दुर्गा की भव्य एवं सुंदर मूर्तियां है। यहां संत तुलसीदास क आशीर्वाद स्वरूप तुलसी सरोवर भी बना हुआ है। मुख्य मंदिर की भीतरी दीवारों पर कांच की अत्यंत कलात्मक नक्काशी की गयी है। यहां शदाणी संत की संक्षिप्त महिमा के साथ-साथ दाहिनी और बांयी ओर विभिन्नद देवी-देवताओं सहित 24 अवतारों की मूर्तियां स्थापित हैं।
दुनियाभर से आते हैं श्रद्धालु
इन्हीं मान्यताओं के कारण इस शदाणी दरबार में हजारों श्रद्धालुओं एवं भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां देश ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान (सिन्ध) से प्रतिवर्ष जुलाई माह में पंचम संत माता हासी देवी का जन्मोत्सव तथा पच्चीस अक्टूबर को अष्टम संत गोविन्दराम जी के जन्मोत्सव में भाग लेने आते हैं। शदाणी दरबार में प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की चौदस को मेला लगता है। यहां हजारों श्रद्धालु सत्संग एवं दर्शन लाभ प्राप्त कर भण्डारा ग्रहण करते हैं | यही कारण है कि रायपुर में माना स्थित शदाणी दरबार को तीर्थ स्थल कहा जाता है। इस शदाणी दरबार को शदाणी नगर का भी दर्जा दिया जाता है। शदाणी दरबार तीर्थ स्थल छत्तीसगढ़ राज्य की धार्मिक अस्मिता का परिचाचक है। चारों शंकराचार्य सहित देश के शीर्ष संत, दिग्गत राजनीतिज्ञ यहां दरबार में पधार चुके हैं। यहां गौशाला, सामाजिक कार्यों का निर्वहन किया जाता है।
'मानव धर्म है मूल धर्म'
रायपुर स्थित एक सनातन धर्म का और भारतीय संस्कृति, सभ्यता का तीर्थ यह शदाणी दरबार है। जो मूलत: गुरु परंपरा और हमारे संस्कारों, हमारे मूल धर्म जो मानव धर्म है और वैदिक कालीन सभ्यता, इन आधार पर इस मंदिर का निर्माण हुआ है।
- संत श्री डॉ युधिष्ठिर लाल जी महाराज
कैसे पहुंचे : शदाणी दरबार रायपुर से 8 किमी. दूर रायपुर-जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर माना के पास स्थित है। शदाणी दरबार तक राजधानी रायपुर से निजी वाहन, सिटी बस, टैक्सी आदि से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस मार्ग में 24 घंटे आवगमन की सुविधा है ।