लॅाकडाउन ने तोड़ी परंपराएं, विवाह के लिए दोस्त से उधार मांगा कोट, बिना पगड़ी मास्क पहनकर लिए सात फेरे
लॉकडाउन में बंद बाजार के चलते शादी की कई रस्में टूटने लगी हैं। विवाह के लिए आवश्यक सामान नहीं मिलने से सीमित सुविधाओं में विवाह करने को युवा मजबूर हैं। बैजनाथपारा स्थित आर्य समाज में अक्षय तृतीया पर आठ विवाह हुए जिसमें से अधिकतर जोड़ों को विवाह के लिए पगड़ी नहीं मिल सकी।;
लॉकडाउन में बंद बाजार के चलते शादी की कई रस्में टूटने लगी हैं। विवाह के लिए आवश्यक सामान नहीं मिलने से सीमित सुविधाओं में विवाह करने को युवा मजबूर हैं। बैजनाथपारा स्थित आर्य समाज में अक्षय तृतीया पर आठ विवाह हुए जिसमें से अधिकतर जोड़ों को विवाह के लिए पगड़ी नहीं मिल सकी। विवाह के कपड़े नहीं मिलने से एक दूल्हा दोस्त से कपड़े मांगकर शादी के लिए पहुंचा। इसके अलावा फूलों की वरमाला नहीं मिली तो आर्टिफिशियल माला का उपयोग किया गया।
आर्य समाज केंद्र के प्रभारी योगीराम साहू का कहना है कि आर्य समाज में इन दिनों सभी शादियां सादगी से हो रही हैं। कम जोड़े ही शादी के पारंपरिक कपड़ों में पहुंच रहे हैं। फिलहाल हवन, पीले कपड़े, घी पर्याप्त है इसलिए भटकना नहीं पड़ रहा लेकिन यहां आकर शादी करने वालों की संख्या बढ़ी तो हमें भी सीमित साधनों में विवाह कराना होगा। वर्तमान में एक-दो जोड़े ही शादी के लिए पहुंच रहे इसलिए अधिक समस्या नहीं है।
दोस्त से मांगा शादी का कोट
धरसींवा क्षेत्र से वासु वर्मा और झरना साहू ने सादगी के साथ विवाह किया। उन्होंने बताया, पहले प्रशासन के आदेशानुसार गांव में शादी होनी थी लेकिन लॉकडाउन में विवाह के लिए कई जरूरी सामान नहीं मिलने से आर्य समाज में विवाह करने का निर्णय लिया। कपड़ा दुकानें बंद होेने से शादी के लिए अच्छे कपड़े नहीं ले सके। गांव में एक मित्र का बीते महीने विवाह हुआ था उससे कोट मांगकर विवाह में पहना।
जूते भी पुराने ही पहनने पड़े। उनका कहना है कि वधू ने भी शादी के लिए गहने नहीं खरीदे। विवाह के दौरान सामान्य गहने पहनी हुई थीं। विवाह के लिए दो पक्षों में से कोई आवश्यक वस्तु लेकर नहीं पहुंचा था। विवाह में केवल 3 हजार का खर्च आया वह भी आर्य समाज में विवाह कराने का था। शादी की तारीख आगे नहीं बढ़ा सकते इसलिए सादगी से रस्म अदा की।
पगड़ी और फूलों की मांग
बाजार बंद होने से आवश्यक सामान के लिए जोड़े आर्य समाज में मांग कर रहे हैं। प्रभारी का कहना है, अधिकतर लोगों की मांग फूलों की माला व पगड़ी होती है। विवाह में पगड़ी की व्यवस्था नहीं होने से सिर पर कपड़ा रखकर बैठते हैं। इन दिनों में विवाह के लिए दोनों पक्षों से केवल 8 लोगों में बुलाया जा रहा है। साथ ही वर-वधू मास्क पहनकर सात फेरे लगाते हैं।
फूलों की जगह नकली माला
बाजार में फूल नहीं मिल रहे। आमतौर पर परंपरा है कि दूल्हा दुल्हन एक दूसरे काे वरमाला पहनाकर जीवन साथी स्वीकार करते हैं। लेकिन वर्तमान में फूलमाला नहीं मिल रहीं। ऐसे में जो मालाएं आर्टीफिशियल होती हैं उन्हें ही एक दूसरे को पहनाकर रस्म पूरी की जा रही है। इसी तरह वधु के लिए सामान्य जेवर नहीं मिलने से मांगकर काम चलाया जा रहा है। गाना बजाना भी पूरी तरह बंद है।
हो रही है बचत
दूसरा पहलू यह भी है कि इस तरह के विवाह से वर वधु के परिजनों को भी लाखों रुपए की बचत हो रही है। कुछ जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर इसी तरह सभी विवाह करने लगें तो सैकडाें परिवार कर्ज में डूबने से बच जाएंगे। सामान्य विवाह में कम खर्चें हैं और दिखावे के लिए लाखों रुपए का खर्च भी बच रहा है। इस परंपरा को स्थायी बनाया जाना चाहिए।