बस्तर में बीएसएफ कैम्प का जबर्दस्त विरोध, दिन-ब-दिन तेज हो रहा है ग्रामीणों का आंदोलन

ग्रामीण कहते हैं कि बीएसएफ कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है। यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। यहां कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकालकर उन पर अत्याचार करने की आशंका है। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2020-12-23 12:14 GMT

कांकेर। उत्तर बस्तर कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में 103 गांवों के हजारों ग्रामीणों ने पखांजूर में बुधवार से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसके पहले ये सभी लोग करकाघाट और तुमराघाट में पांच दिन तक आंदोलन कर चुके हैं, और अब पखांजूर में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू हुआ है। यहां के ग्रामीण अपने साथ राशन और बिस्तर लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। पखांजूर में आज धरना प्रदर्शन का पहला दिन है। करकाघाट और तुमराघाट में सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ का कैंप खोल गया है, जिसे ग्रामीण देवस्थल बता रहे हैं, और उनका आरोप है कि ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही यह कैंप खोला गया है।

गौरतलब है कि कांकेर जिले के कुछ इलाकों में सरकार नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है। गत 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं। नए कैंप में करकाघाट और तुमराघाट भी शामिल हैं। नए बीएसएफ कैंप को पखवाड़े भर भी नहीं हुए हैं, ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

खबरों के मुताबिक, एसटी, एससी, ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरने पर राशन-पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर बैठ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बीएसएफ का कैंप नहीं हटाया जाएगा, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। ग्रामीणों का कहना है कि कैंप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस जगह कैंप खोला गया है, वह आदिवासियों का देवस्थल है, जहां उनके देवी-देवता निवास करते हैं। उनका कहना है कि करकाघाट और तुमराघाट में खोले गए कैंप से आदिवासी समाज के लोगों की आस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि यहां से बीएसएफ कैंप हटाया जाए।

ग्रामीण कहते हैं कि बीएसएफ कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है। यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। यहां कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकालकर उन पर अत्याचार करने की आशंका है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुरक्षा के साथ यहां लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को पहुंचाया जा सके, इसलिए जबरिया बीएसएफ के नए कैम्प खोले जा रहे हैं।

विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गूकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं, जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है। ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन और रैली की थी। कैंप खोलने के विरोध में प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया था। दूसरी ओर बस्तर के पुलिस अफसरों का कहना है कि बीएसएफ कैंप इलाके में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए खोला गया है, कैंप ग्रामीणों के हित में हैं। यहां कैंप खुलने से क्षेत्र का विकास होगा और वर्षों से लंबित पडेा विकास कार्य सड़क और पुल के निर्माण कार्य में तेजी आएगी, लेकिन सरकारी अफसरों के दावों से यहां के ग्रामीण सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इसका बुरा प्रभाव उनके जीवन पर पड़ेगा।

खबर है कि इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपकर इसका विरोध जताया था, जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने की बात कही थी। लेकिन, अभी तक प्रशासन और ग्रामीणों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत की खबर नहीं मिली है।

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