हनुमानजी का चमत्कारी मंदिर : हर साल मनोकामना पूरी करने आते हैं भक्त, जानिए रहस्यमयी बातें...
इतिहास के पन्नो में दर्ज भगवान राम की गाथा जिस तरह से छत्तीसगढ़ में सुनने को मिलती है। क्योंकि चंदखुरी में राम का ननिहाल बसता है। ऐसा ही खूबसूरत नजारा मुंगेली जिले के लोरमी में भी है...जानिए क्या है खास...पढ़िए पूरी खबर;
राहुल यादव/लोरमी- इतिहास के पन्नो में दर्ज भगवान राम की गाथा जिस तरह से छत्तीसगढ़ में सुनने को मिलती है। क्योंकि चंदखुरी में राम का ननिहाल बसता है। ऐसा ही खूबसूरत नजारा मुंगेली जिले के लोरमी में प्रशिद्ध हनुमानजी महाराज के मंदिर के चमत्कारों और सत्य घटनाओं पर आधारित दृश्य देखने और सुनने को मिलता है। भगवान हनुमानजी की प्रतिमा लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। इसलिए लोग यहां के बारे में बता करते है।
भक्तों को लगता है तांता
डेढ फीट की प्रसिद्ध हनुमान प्रतिमा जो आज लगभग पांच फीट की हो गई है। यहां पर मंगलवार और शनिवार को भक्तो का तांता लगा रहता है। इस अलौकिक हनुमान मंदिर में जाकर लोग दर्शन करते है और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां आते है। इस संदर्भ में शिक्षाविद, साहित्यकार और कथावाचक डाक्टर पंडित सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज ने बताया कि, 1926-27 में मनियारी नदी खुडिया बान्ध ( राजीव गांधी जलाशय) का निर्माण किया जा रहा था। । जिसके बाद से ये लगातार बढ़ता चला गया।
बैलगाड़ी पर ले जाते प्रतिमा, रास्ते में आई बाधा...फिर क्या हुआ
किसी प्रकार की अनिष्ट से बचने और जलाशय निर्माण होने की मनोकामना पूरी करने के लिए चंदली राजपरिवार की तरफ से विजयपुर किला से बैलगाड़ी पर डेढ फीट की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए राजमहल चंदली ले जाया जा रहा था। तभी अचानक बैलगाड़ी का चक्का मनियारी नदी के तट पर टूट गया। जिसके बाद राजपरिवार ने लगातार गाड़िया बदल -बदलकर उस डेढ फीट के हनुमान जी को उनके स्थान पर पहुंचाया। कहा जाता है कि, प्रभु की कृपा से हमने मनियारी मे नाव का आकार लिए हुए बहती हुई बहेरा पेड़ को देखा, जो मनियारी तट पर रुक गई थी। उसी बहेरे के पेड़ पर श्री हनुमान जी को स्थापित कर राजपरिवार वहां से चले गए।
विशाल वृक्ष की अद्भुत कहानी...
जिस जगह पर राजपरिवार हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करने गया था। उसी जगह पर बहेरा वृक्ष चार सौ पचीस वर्ष तक हनुमान जी के लिए बना रहा और भक्तो का मनोकामना पूरी करता रहा। अभी कुछ दिन पहले भयंकर आधी और तूफान ने वृक्ष को छतिग्रस्त कर दिया है। डाक्टर तिवारी ने हनुमान जी के बिचारपुर मे एकाएक रूकने के दो प्रमुख कारण बताते हुए कहा कि, हनुमान जी ग्यारहवे रूद्र है और लगभग सौ मीटर की दूरी पर पाण्डव कालीन सिद्ध बाबा का मंदिर और पर्वत है। जिस पर्वत की प्रत्येक शिला पर शिवलिंग दिखाई देते है।
नर्मदा शिव पुत्री के बारे में जानें...
मनियारी नर्मदा की दत्तक पुत्री है। मनियारी के उद्गम स्थल से लेकर शिवनाथ के संगमस्थल तक नर्मदा सात बार मनियारी नदी मे मिली है। यही कारण है कि, हनुमान जी और सिद्ध बाबा के रूप में शिवजी दोनों मिलकर आर्थिक, साहित्यिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध किया माने गए है। हनुमान जी की नित्य नूतन वृद्धि होने वाली प्रतिमा के बिचारपुर की धरा पर अटल और अचल होने का दूसरा कारण यह है कि, यहां पर भारत के लोग हड्डी जोड़ने संबधी उपचार के आते है। इन्ही चमत्कारो से प्रभावित होकर सभी श्रद्धालुओं ने सन 2000 मे संकटमोचक हनुमान जी के मंदिर का निर्माण बिचारपुर की पुण्य धरा पर कराया है। यहा आने वाले भक्तो की संतान, व्यापार, विवाह और अन्य मनोकामना को पूरी करेगा।