दो हजार वर्गफीट एरिया अनिवार्य, 350 वर्गफीट में लगा दिए हैं टावर, प्रशासन से नहीं ली अनुमति
शहरभर में सरकारी मानक की अनदेखी कर मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं। मानक से कम एरिया में प्रशासन की अनुमति लिए बगैर जर्जर भवनों पर मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं जिससे न सिर्फ भवनों के गिरने से हादसे का खतरा बना है बल्कि भवन के साथ टावर गिरने से 50 मीटर के दायरे में सभी रहवासी की जान जोखिम में पड़ सकती है।;
शहरभर में सरकारी मानक की अनदेखी कर मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं। मानक से कम एरिया में प्रशासन की अनुमति लिए बगैर जर्जर भवनों पर मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं जिससे न सिर्फ भवनों के गिरने से हादसे का खतरा बना है बल्कि भवन के साथ टावर गिरने से 50 मीटर के दायरे में सभी रहवासी की जान जोखिम में पड़ सकती है। शहर में एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों टावर रिहायशी इलाकों में 350 से 500 वर्गफीट एरिया के मकानों की छतों पर खड़े हैं। यही नहीं बहुत से मानक के विपरीत मकान में टावर लगाने का काम भी चल रहा है। इससे रेडिएशन का खतरा भी बढ़ रहा है। इसके बाद भी प्रशासन इन मकान मालिक व मोबाल टावर लगाने वाली कंपनियों पर शिकंजा नहीं कस रहा।
80 मकानों पर बगैर अनुमति लगे हैं टावर
अफसरों के मुताबिक शहरभर में ऐसे करीब 100 मकान बरसों पुराने हैं जिनकी मरम्मत की जरूरत है। कई जगह जर्जर बिल्डिंग की छत पर दो टावर तक लगाए गए हैं। जर्जर भवनों को टॉवर का भारी-भरकम वजन और भी कमजोर बना रहा है। वहीं करीब 80 मोबाइल टावर ऐसे हैं जिन्हें लगाने के लिए प्रशासन से अनुमति भी नहीं ली गई है।
ऐसे तोड़े जा रहे नियम
जानकारी के मुताबिक शहर में 100 से अधिक टावर खतरा बनकर खड़े हैं। टावर लगाने के समय नियमों का पालन नहीं कराया गया। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक चिकित्सा और शैक्षणिक संस्थान के दायरे में मोबाइल टावर नहीं होना चाहिए लेकिन शहर में दर्जनों मोबाइल टावर नियमों को दरकिनार कर लगाए गए हैं।
निजी कंपनियों के टावर ज्यादा
जानकारी के मुताबिक शहरभर में 40 से 50 टावर लगाए गए हैं। कुछ कंपनियों ने अनुबंध के अनुसार दूसरी कंपनियों के टावर से सुविधाएं ले रखी हैं। ऐसे टावरों से एक से अधिक कंपनियों के उपभोक्ताओं को सुविधा दी जा रही है यानी इन टावरों से रेडिएशन का खतरा और भी बढ़ गया है।
मोबाइल टॉवर लगाने की गाइड लाइन
टॉवर लगाने की गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल के पास अस्पताल के पास या छत पर धार्मिक स्थलों के पास या उसकी छत पर सरकारी भवन के पास या उसकी छत पर बिना बीम कॉलम के मकानों पर जर्जर मकानों पर एक ही मकान पर एक से अधिक टॉवर नहीं लगाए जा सकते हैं। जिस क्षेत्र से टॉवर लगाए गए हैं वहां 30 फीट चौड़ी सड़क होना चाहिए। 200 वर्गफीट से कम साइज वाले प्लाट या मकान में टॉवर नहीं लगाए जा सकते।
यहां बगैर अनुमति लगा रहे थे टावर
जानकारी के मुताबिक शिवानंदनगर सेक्टर-3 ठक्कर बप्पा वार्ड में नीलेश कुमार गौतम के मकान का एरिया 400 वर्गफीट है। मकान की छत पर जाने के रास्ते पर टावर लगाया जा रहा है। मकान के कालम में दरारें पड़ गई हैं फिर भी टावर लगाने का काम किया जा रहा था। रहवासियों ने नगर निगम और पुलिस से शिकायत की है।