छापों का भी असर नहीं, 5000 की रेत का देना पड़ रहा 15 हजार रुपए

प्रदेशभर में हजारों घनमीटर रेत का अवैध भंडारण किया गया है। खनिज विभाग ने अवैध भंडारण करने वालों के कई ठिकानों पर छापा भी मारा है, पर कीमत पर लगाम नहीं लगी है। साइट से रायपुर तक पांच सौ फीट वाली ट्रक के 14 हजार रुपए लग रहे हैं। ऐसे में जो रेत घाट बंद हाेने से पहले पांच हजार रुपए ट्रक में मिल रही थी, वह अब 15 हजार तक चली गई है। यानी एक फीट के 30 रुपए लग रहे हैं। बारिश के समय हमेशा रेत खदानों में 15 जून से तालाबंदी हो जाती है।;

Update: 2021-07-05 05:47 GMT

रायपुर. प्रदेशभर में हजारों घनमीटर रेत का अवैध भंडारण किया गया है। खनिज विभाग ने अवैध भंडारण करने वालों के कई ठिकानों पर छापा भी मारा है, पर कीमत पर लगाम नहीं लगी है। साइट से रायपुर तक पांच सौ फीट वाली ट्रक के 14 हजार रुपए लग रहे हैं। ऐसे में जो रेत घाट बंद हाेने से पहले पांच हजार रुपए ट्रक में मिल रही थी, वह अब 15 हजार तक चली गई है। यानी एक फीट के 30 रुपए लग रहे हैं। बारिश के समय हमेशा रेत खदानों में 15 जून से तालाबंदी हो जाती है।

इसके पहले रेत की लीज लेने वाले खनिज विभाग से मंजूरी लेकर इसका भंडारण करते हैं। खदानें बंद होने से काफी पहले से रेत का भंडारण प्रारंभ कर दिया गया था। जानकारों की मानें तो जिनके पास जितने ट्रक रेत भंडारण की अनुमति है, उससे डबल से भी ज्यादा रेत का भंडारण कर लिया गया है। इसी के साथ कई लोगों ने तो एक से ज्यादा स्थानों पर भी रेत का अवैध भंडारण करके रखा है। आरंग महानदी और महासमुंद के आसपास तो थोक में भंडारण किया गया है। यहां कई खेतों में भी रेत बड़ी मात्रा में डंप की गई है।

गिट्टी की कीमत भी बढ़ी

रेत के साथ ही गिट्टी की कीमत में भी इजाफा हो गया है। इसके पीछे का कारण यह है कि यहां से भारी मात्रा में गिट्टी महाराष्ट्र जा रही है। जो गिट्टी बारिश से पहले 16 से 18 रुपए में बिक रही थी, उसको 18 से 20 रुपए कर दिया गया है। आगे इसकी कीमत में और इजाफा हाने की संभावना जताई जा रही है।

राॅयल्टी पांच तो लोडिंग ढाई गुना

रेत का परिवहन करने वालों की मानें तो इस समय रेत की कीमत मनमर्जी से वसूली जा रही है। इसका सबसे ज्यादा फायदा रेत का भंडारण करने वाले ही उठा रहे हैं। जानकारों का कहना है, रेत की राॅयल्टी दस घन मीटर की 665 रुपए लगती है यानी करीब एक रुपए फीट राॅयल्टी होती है। घाटों का ठेका लेने वाले इतनी ही राॅयल्टी सरकार को देते हैं, लेकिन इस समय परिवहन करने वालों से इसके तीन हजार रुपए लिए जा रहे हैं यानी पांच गुना। इसी तरह से लोडिंग का पहले 19 सौ रुपए लगता था, लेकिन इस समय साढ़े पांच हजार रुपए ले रहे हैं। साइट से ही एक ट्रक लोडिंग करने पर साढ़े आठ हजार रुपए लग रहे हैं। साढ़े पांच हजार का डीजल लग जाता है। ऐसे में 14 हजार रुपए एक ट्रक के हो जाते हैं। अब परिवहन करने वाले 14 हजार खर्च करने के बाद इसे 15 हजार में ही बेच पा रहे हैं।

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