डीएमएफ से प्रभारी मंत्री ही नहीं, विधायक भी होंगे आउट, इधर सियासी उबाल
अब तक केवल दो कांग्रेसी सांसद ही थे समिति में, नौ भाजपा सांसद बाहर;
रायपुर. हरिभूमि ने मंगलवार को डीएमएफ मामले को लेकर केंद्र सरकार के आदेश की जानकारी प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इसके बाद से ही राज्य में इस मामले को लेकर सियासी सरगर्मी तेज होती दिख रही है। दरअसल राज्य में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार बनने के बाद 26 फरवरी 2019 को एक अधिसूचना जारी कर जिले के प्रभारी मंत्री को कलेक्टर के स्थान पर न्यास में पदेन अध्यक्ष नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके साथ ही संबंधित जिले के सभी विधानसभा सदस्यों को पदेन सदस्य नियुक्त किया गया था।
नए नियम लागू होने के बाद अगली बैठक
डीएमएफ समिति यानी शासी परिषद की अगली बैठक तभी हो सकती है, जब शासी परिषद के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। राज्य सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार खान मंत्रालय द्वारा 23 अप्रैल को जारी निर्देश का पालन राज्य सरकार का दायित्व है।
पैसों की बंदरबाट
राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हरिभूमि से कहा- राज्य सरकार ने डीएमएफ मामलेे में केंद्र सरकार के आदेश का उल्लंघन तो किया ही, इस मद के पैसों की भी बंदरबांट की। यह ऐसे कि समिति में केवल दो कांग्रेस सांसदों को रखा, भाजपा के 9 सांसद बाहर रखे गए। इसी तरह मेयर, जिला पंचायत सदस्य से लेकर पार्षदों तक को समिति में रखा, केंद्रीय गाइडलाइन को नहीं माना गया।
कांग्रेस सांसद डीएमएफ में शामिल
बस्तर लोकसभा से सांसद कांग्रेस के दीपक बैज ने बताया कि जिला खनिज न्यास की समिति में कांग्रेस सांसद को शामिल किया गया है। समिति के माध्यम से जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास हो रहा है।
लोकसभा में मामला उठाया, तब नया आदेश जारी : सोनी
लोकसभा सांसद सुनील सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने जिलाें में खनिज न्यास निधि के लिए बनी समितियों में भाजपा सांसदों को शामिल नहीं किया था। हमने लोकसभा में यह मामला उठाया था। समिति में छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष बनाकर कलेक्टर को इसका सचिव बनाया था। अब केंद्र ने नया आदेश जारी कर सांसदों को शामिल करने कहा है। महासमुंद के भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने केवल राजनीति करने का काम किया है।
अब विधायक भी नहीं रह सकेंगे समिति में
केंद्र सरकार के खान मंत्रालय द्वारा 23 अप्रैल 2021 को जारी आदेश के तहत डीएमएफ समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंंगे, सांसद सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इस आदेश से ये भी साफ है कि इसमें विधायकों के लिए कोई स्थान नहीं रखा गया है। लिहाजा छत्तीसगढ़ के जो विधायक इन समितियों में शामिल थे, अब वे भी समितियों से बाहर होंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ में डीएमएफ को लेकर बनने वाले नए नियम में इस बात की गुंजाइश हो सकती है कि विधायकों को भी समिति में शामिल किया जाए।
कांग्रेस के दो सांसद ही थे शामिल
केंद्र सरकार का नया नियम लागू होने से पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के केवल दो सांसद दीपक बैज और ज्योत्सना महंत ही डीएमएफ कमेटी में शामिल थे। सूत्रों के अनुसार भाजपा के 9 सांसदों को इन समितियों में स्थान नहीं दिया गया। खास बात ये है कि अलग-अलग समय पर खान मंत्रालय द्वारा शासी परिषद में सांसदों को शामिल करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही लोकसभा में प्रश्न के माध्यम से यह मांग की गई है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस संबंध में राज्य सरकार का निर्णय प्रक्रियाधीन है।
डीएमएफ की आत्मा मर रही थी : रमन
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जब हमारी सरकार थी, किसी मंत्री ने डीएमएफ में हस्तक्षेप नहीं किया। कांग्रेस सरकार में मंत्रियों के हस्तक्षेप से डीएमएफ का राजनीतिकरण हो रहा था। बंदरबांट हो रही थी। मंत्री विधायकों को काम दे देते थे, जिससे डीएमएफ की आत्मा मर रही थी। अब इसमें पारदर्शिता आएगी।
मंत्री अकबर बोले अध्ययन कराया जा रहा
डीएमएफ समिति को लेकर केंद्र द्वारा जारी आदेश में प्रभारी मंत्रियों के स्थान पर जिला कलेक्टर को अध्यक्ष बनाने को लेकर सरकार के प्रवक्ता मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि जिले के प्रभारी मंत्री का समिति में दखल रहेगा। उनके सुझाव को समिति में रखा जा सकता है। राज्य सरकार फिलहाल इस आदेश का अध्ययन करा रही है। वर्तमान में विधायकों को समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। उनके सुझाव के आधार पर ही समिति शिक्षा, स्वास्थ्य और स्थानीय आवश्यकता के अनुसार विकास कार्याें पर निर्णय ले रही थी।