चन्द्रकान्त शुक्ला-
सारे समीकरण साव की ओर कर रहे इशारा
बहरहाल जिस तरह से परिणाम छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं, उससे प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव का दावा ज्यादा मजबूत दिखाई पड़ता है। कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े साहू चेहरे धराशायी हो गए। कहीं इसके पीछे प्रदेश के साहू मतदाताओं की साहू मुख्यमंत्री देखने की चाहत तो नहीं थी? नतीजे तो यही कह रहे हें कि, प्रदेशभर के साहू मतदाताओं ने पहली बार साहू सीएम बनाने के लिए भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। अरुण साव के पक्ष में केवल प्रदेश अध्यक्ष होना भर ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ का जातीय समीकरण भी जाता है। अरुण साव ओबीसी वर्ग के साहू समाज से आते हैं। साहू समाज छत्तीसगढ़ की सियासत में मजबूत दखल रखता है। छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी लगभग 12 प्रतिशत है। साहू मतदाताओं की अहमियत पीएम मोदी को भी पता है। क्योंकि उन्होंने स्वयं 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाटापारा की चुनावी रैली में यहां के साहू समाज को गुजरात के मोदी समाज के समान बताया था।
कुशल प्रशासक साबित हो सकते हैं ओपी
वहीं रायगढ़ से बड़ी जीत हासिल करने वाले पूर्व आईएएस ओपी चौधरी कुशल प्रशासक के तौर पर पार्टी शीर्ष नेतृत्व की पसंद हो सकते हैं। लेकिन श्री चौधरी को सीएम बनाने की स्थिति में पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ तालमेल बिठाना उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान रायगढ़ में रोड शो के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्री चौधरी के पक्ष में इशारा भी किया था। शायद श्री शाह के उसी इशारे ने ओपी की बड़ी जीत का मार्ग भी प्रशस्त किया। बहरहाल देखना अब यह है कि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का इशारा किस नाम की ओर होता है।