खुद की किडनैपिंग : …जब परिवार वालों के डर से नाबालिग ने सुनाई अपहरण की काल्पनिक कहानी, क्लाईमेक्स में पुलिस ने ऐसे सुलझाई पहेली...

जब एक नाबालिग घर छोड़कर दूसरे शहर पहुंचा तो समय बीतने के साथ उसे यह डर सताने लगा अब घर गया तो उसकी खैर नहीं। पारिवारिक कलह के बीच जी रहे इस बच्चे के दिमाग में जाने क्या चला कि उसने खुद के किडनैपिंग की काल्पनिक कहानी रच डाली। पढ़िए पूरी खबर…;

Update: 2023-02-19 12:14 GMT

धमतरी। किसी बच्चे पर पारिवारिक कलह का क्या असर हो सकता है इसका एक आश्चर्यजनक पहलू सामने आया है। मामला धमतरी जिले के भोयना गांव से 14 साल के बच्चे का है। उसने अपनी ही किडनैपिंग की कहानी न सिर्फ अपितु बड़ी बेवाकी से परिवार वालों और पुलिस दोनों को सुनाई भी। आखिरकार पुलिस ने अपने अनुभव से किसी फिल्म के क्लाइमेक्स की तरह इस पहेली को सुलझा लिया।

कहानी कुछ यूं है

15 फरवरी को धमतरी के भोयना गांव से 14 साल के बच्चे को वेन सवार 4 हथियारबन्द लोग उठा ले जाते हैं। नशीली दवा और नशीला इंजेक्शन लगाते हैं। रात में जब बच्चे को मौका मिलता है, वो अपने पैरों की रस्सियां खुद खोलता है। किडनैपरों को चकमा देकर वह जगदलपुर पहुंच जाता है। आगे की कहानी यह है कि बिना डरे वह खुद पुलिस से सहायता मांगता है और बताता है कि किडनैपरों की उसका अपहरण हुआ था। अपने बयान में वह अपहरणकर्ताओं की भाषा, कद, गांठी के बारे में भी डिटेल से बताता है।

सकते में आई पुलिस

अपहरण की यह कहानी सुनकर पुलिस सकते में आ गई। मीडिया में भी मामला छाया रहा। इस बीच पुलिस ने मामले की बारीकी से जांच की तो कुछ अलग ही कहानी निकलकर सामने आई। पुलिस ने सिलसिलेवार तरीके से मामले की जांच की। घटना के रूट में मिले सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगाला गया उसे नाबालिग के बयान के साथ मैच किया गया। इसमें समय का विशेष ध्यान रखा गया। इसमें बड़ा अंतर सामने आया। फिर क्या था पुलिस ने कड़ियां जोड़ी और मामले का खुलासा कर दिया।

सच आया सामने

पुलिस ने पाया कि नाबालिग घर से 500 रुपए लेकर निकला था। लोकल से वह धमतरी बस स्टैंड पहुचा और बकायदा टिकट कटवाकर जगदलपुर पहुंच गया। वहां स्थानीय पुलिस ने एक नाबालिग को अकेला देखकर उससे पूछताछ की तो उसने अपने घरवालों के संबंध में बताया। फिर सबके डर से उसने किडनैपिंग की ऐसी कहानी सुनाई कि पुलिस, परिवार और मीडिया सब सकते में आ गए।

पारिवारिक कलह के बीच मोबाइल का साथ

धमतरी पुलिस की मानें तो नाबालिग के परिवार में किसी न किसी बात को लेकर परिवार के विभिन्न सदस्यों के बीच कहासुनी होती ही रहती थी। संभवत: परिवार वाले भी उसे समय नहीं देते रहे हों। इसका प्रभाव यह हुआ कि उसने मोबाइल में समय बिताना शुरू कर दिया। ऐसे में उसके मन में अनेकों विचार आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस पूरे प्रकरण से इतना तो समझ में आता है कि बच्चे, टीनेजर्स और युवाओं से परिवार के अन्य सदस्यों का सतत संवाद होना चाहिए।

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