सरकारी योजनाओं की 'खाट खड़ी' करती तस्वीर : उल्टी खाट पर शव रखकर 25 किमी. के सफर पर निकले चार लोग... कहां हैं मुफ्त योजनाओं की डफली पीटने वाले...

मानवीयता को झकझोर देने वाली एक तस्वीर सामने आई है। उल्टी खाट में 4 ग्रामीण एक बुजुर्ग महिला का शव रेंगानार से करीब 25 किमी दूर अंतिम संस्कार के लिए लेकर जा रहे थे। आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी, पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2022-07-15 13:00 GMT

पंकज भदौरिया/दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा इलाके से मानवीयता को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां उल्टी खाट में 4 ग्रामीण एक बुजुर्ग महिला का शव रेंगानार से करीब 25 किमी दूर टिकनपाल अंतिम संस्कार के लिए लेकर जा रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास गाड़ी किराया का पैसा नहीं है और वे ये बात भी नहीं जानते हैं कि उन्हें मुफ्त सरकारी शव वाहन मिल सकता है। अब इससे समझा जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं की कितनी जानकारी है।

दरअसल यह शव टिकनपाल गांव की रहने वाली मृतक महिला जोगी पोडियाम का है। इस शव को ले जाने वाले परिजन करीब 10 किलोमीटर सड़क के रास्ते शव लेकर चलते रहे हैं। सैकड़ों जागरूक नागरिक निकले, लेकिन उन्होंने भी मदद करने का प्रयास नहीं किया। ये लोग एक फोन करते और स्वास्थ्य विभाग को सूचित करते कि शव वाहन की व्यवस्था की जाए, लेकिन लोग देख कर निकलते रहे। इसी बीच कुआकोंडा पुलिस को इसकी जानकारी मिली। इसके बाद थाना प्रभारी चंदन कुमार और पुलिस टीम मौके पर पहुंची। फिर टीम ने पिकअप पर शव को रखवाया। साथ ही कुछ जवानों को घर तक शव के साथ भेजा। पुलिस मानवीयता से शव तो घर तक पहुुंच गया और परिजनों को 15 किमी पैदल चलने का दर्द भी कम हो गया। टिकन पंचायत रेंगानार से करीब 25 किमी दूर है। बड़ा सवाल है कि सरकारें तमाम दावे करती है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में तमाम योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है। प्रशासनिक अधिकारी इन योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए पसीना बहा रहे हैं। मानव जीवन की अहम कड़ी स्वास्थ्य विभाग का ये हाल है। सही मायने में ये योजनाओं की उल्टी खाट पर शव है। आदिवासी इलाकों में यह तक पता नहीं कि उनको सरकार ने मुफ्त शव वाहन की भी व्यवस्था की है। यह तस्वीर बताती है कि योजना जमीन पर नहीं उतरी है, जब लोगों को जानकारी ही नहीं है।

पैसे नहीं है इसलिए उल्टी खाट पर ले जा रहे थे शव

परिजन से बात करने के बाद पता चला कि उनकी मजबूरी आर्थिक आभाव था। मृतक महिला का रिश्तेदार रमेश बताता है कि वह कुछ दिन पहले ही टिकनपाल से रेंगानार आई थी। बीमार होने के चलते उसकी शुक्रवार सुबह मौत हो गई। परिजन के पास पैसा नहीं था, इसलिए उल्टी खाट कर टिकनपाल ले जा रहे थे। करीब आठ से 10, किमी पैदल भी चले। ये तो शुक्र है कि पुलिस अब गांव पहुंचा देगी। जब रमेश से पूछा गया कि स्वास्थ्य विभाग से तो शव वाहन मुफ्त में मिलता है। इस पर वह बोला कि जानाकरी ही नहीं है। इस बात से पता चलता है कि योजनाओं का कितना लाभ लोग उठा रहे हैं। आदिवासियों को योजना तो छोड़ा, उनको तो जानकरी का ही आभाव है। स्वास्थ्य विभाग को जागरूक करना चाहिए वह भी धरातल पर नहीं कर पा रही है।

पुलिस के लिए टिकनपाल की डगर मुश्किल

पुलिस मृतक महिला का शव तो लेकर जा रही है, लेकिन पुलिस के लिए टिकनपाल की डगर कठिन है। दरअसल टिकनपाल बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। यहां नक्सलियों का बोलबाला है। पुलिस अब इस शव को सुरक्षित पहुंचाने के लिए अतिरिक्त फोर्स भी लगाएगी। टिकनपाल मालांगिर एरिया कमेटी के नक्सलियों का पनाहगाह है। अक्सर टिकनपाल से ही किरन्दुल और कुआकोंडा थाना क्षेत्र में वारदातों को अंजाम देते हैं। कई बार बड़ी वारदातों की साजिश का पर्दाफाश इसी टिकनपाल से हुआ है। देखिए वीडियो-


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