किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ : धान बेचने निर्धारित तिथि तक भी किसानों का नहीं सुधरवा सके रकबा, आंदोलन किया तो सब जागे

बागबाहरा क्षेत्र के किसानों का कहीं नाम गायब तो कहीं रकबा है जीरो, परेशान किसानों ने एसडीएम दफ्तर के सामने दिया धरना; धान बेचने में हो रही है दिक्कत। पढ़िए पूरी खबर ...।;

Update: 2022-11-01 10:54 GMT

महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबाहरा क्षेत्र के किसानों का रकबा दूसरे ब्लॉक के गांव में जुड़ा हुआ है। इस कारण वे धान बेचने से वंचित होने की स्थिति में है। इसके पहले किसानों ने नाम संशोधन कराने अधिकारियों को कई बार आवेदन दिये, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने नाम संशोधित करने की तिथि में भी नाम नहीं जड़वा सके, तो सोमवार को किसानों का आक्रोश भड़क गया और उन्होंने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर दिया।

विदित हो कि इस समस्या से निजात पाने किसानों ने कई बार अधिकारियों से संपर्क भी किया, लेकिन सूची में कोई सुधार नहीं किया गया। इस वजह से कई किसानों का नाम धान बेचने वालों की सूची से गायब है, वहीं कई किसानों का रकबा ही जीरो दिखा रहा है। इस समस्या से परेशान किसानों ने जनपद पंचायत अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर के नेतृत्व में एसडीएम और तहसील कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों में मुख्य रूप से ग्राम खट्टी एवं सेनभांठा के किसान मौजूद थे। बाद में एसडीएम बागबहरा एस के टंडन ने उन्हें समस्या के निराकरण का आश्वासन देकर विरोध-प्रदर्शन खत्म कराया।

मामला ग्राम खट्टी और सेनभांठा का

जानकारी के अनुसार, धान खरीदी समिति परसुली अंतर्गत ग्राम खट्टी जिसका ग्राम कोड 446641 और ग्राम सेनभांठा जिसका ग्राम कोड 446642 में किसानों का रकबा जीरो प्रदर्शित हो रहा है। किसानों का आरोप है कि एनआईसी की लापरवाही के चलते ग्राम खट्टी का रकबा महासमुंद ब्लॉक के ग्राम खट्टी में और सेनभांठा का रकबा बागबाहरा ब्लॉक के बोदरीदादर को सेनभांठा में दिखा रहा है। इस तरह संबंधित समिति परसुली में किसानों का रकबा जीरो बता रहा है, जिसे सुधार करने समिति द्वारा उच्च अधिकारियों को लगातार पत्र व्यवहार करने के बावजूद भी अब तक सुधार नहीं हुआ। इससे किसानों को धान बेचने से वंचित होने की चिंता सता रही है।

नाम संशोधन, नया पंजीयन और सुधार की तारीख थी 31 अक्टूबर तक

किसानों का नया पंजीयन, संशोधन एवं सुधार करने की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर तक थी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा समय रहते सुधार नहीं किए जाने के चलते संबंधित गांव के किसान धान बेचने से वंचित हो सकते हैं। इससे किसानों में भारी नाराजगी और आक्रोश व्याप्त है।

एसडीएम के आश्वासन पर माने

सोमवार को दोनों गांव के किसानों की संयुक्त बैठक जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर की मौजूदगी में की गई और रकबा में सुधार की कॉपी उपलब्ध होते तक एसडीएम एवं तहसील कार्यालय का घेराव और धरने पर बैठने का का निर्णय लिया गया। इस पर सभी किसान 12 बजे रैली के रूप में तहसील कार्यालय पहुंचे। अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर ने तहसीलदार को समय रहते रकबा सुधार नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों को आंदोलन जैसा कदम उठाने के लिए आप लोगों ने ही मजबूर किया है।

जनपद अध्यक्ष ने चेताया

जनपद अध्यक्ष ने तहसीलदार से कहा कि रकबा सुधार कर उसकी वास्तविक रकबा सूची जब तक मुझे और किसानों के हाथ में नहीं दी जाती, तब तक वे यहीं धरने पर बैठे रहेंगे, चाहे रात के 12 क्यों न बज जाएं। जिसके बाद एसडीएम SK टंडन एवं तहसीलदार द्वारा तत्काल जिला स्तर के उच्च अधिकारियों से चर्चा कर तत्काल एनआईसी में सुधार करने का आश्वासन देकर प्रदर्शन समाप्त कराया गया।

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