जहरीली हवा : राखड़ से परेशान ऊर्जानगरी, बिजली घरों से रोज निकल रहा है 13 लाख मैट्रिक टन राख...

छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों को कोरबा के पावर प्लांट से बिजली प्राप्त हो रही हैं। प्रतिदिन इन प्लांट में बड़ी मात्रा में कोयला की खपत होती हैं। इस कोयला की उपलब्धता साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोरबा जिले की खदानों से ही सुनिश्चित हो रही है। बिजली बनने के बाद उपयोग में आने वाला कोयला बड़ी मात्रा में हर राख के तौर पर उत्सर्जित होता है।;

Update: 2022-05-10 06:50 GMT

कोरबा। बिजली घरों से निकल रही राखड़ लोगों और पर्यावरण के लिए मुसीबत बन गई हैं। राखड़ की समस्या गर्मी के सीजन में चलने वाली तेज हवा और अंधड़ के दौरान होती है। राखड़ को उड़ने से रोकने के लिए दावे जरूर किए जा रहे हैं लेकिन यह ख्याली पुलाव से ज्यादा कुछ नहीं है । दरअसल, कोरबा के विकास में यहां के बिजली घरों और कोयला खदानों ने बीते कई दशक में अपनी खास भूमिका निभाई है इस बात को हर कोई स्वीकार करता है। लेकिन लोग इसके साथ इस बात को जोड़ते हैं कि विकास की प्रक्रिया में प्रदूषण बढ़ने के साथ अनंत समस्याएं भी बढ़ी हैं।

जहरीली हवा : राखड़ से परेशान ऊर्जानगरी, बिजली घरों से रोज निकल रहा है 13 लाख मैट्रिक टन राख...छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों को कोरबा के पावर प्लांट से बिजली प्राप्त हो रही हैं। प्रतिदिन इन प्लांट में बड़ी मात्रा में कोयला की खपत होती हैं। इस कोयला की उपलब्धता साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोरबा जिले की खदानों से ही सुनिश्चित हो रही है। बिजली बनने के बाद उपयोग में आने वाला कोयला बड़ी मात्रा में हर राख के तौर पर उत्सर्जित होता है। इसके सुरक्षित भंडारण के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए लेकिन इसकी कमी कई स्तर पर साफ नजर आ रही है। गर्मी के सीजन में चलने वाली तेज हवा के दौरान जो नजारे निर्मित होते हैं वे लोगों को काफी परेशान करते हैं। कोरबा के पावर प्लांट से हर रोज 13 लाख मैट्रिक टन राख निकलती है। अलग-अलग स्तर पर इसकी शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी बताया जा रहा है कि राखड़ बांध हर हाल में जन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सुरक्षित रहें, इसके लिए वहां पानी का छिड़काव करने के साथ उसे मिट्टी और तार पॉलिनसे ढकने का प्रबंध भी करना होगा। संयंत्रों के प्रबंधन को इसके लिए निर्देशित किया गया है।

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