ब्रह्माकुमारी विवि के कार्यक्रम में शामिल हुई राष्ट्रपति : बोलीं- राम राज्य चाहिए तो पहले खुद को राम-सीता की तरह बनना होगा

भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद अब राष्ट्रपति (president) द्रौपदी मुर्मू का काफिला शांति सरोवर परिसर पहुंचा। यहां पर वे ब्रह्म कुमारी संस्थान (Brahma Kumari Institute) के सकारात्मक परिवर्तन वर्ष 2023 के कार्यक्रम में शामिल हुईं। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-08-31 10:41 GMT

रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने दो दिवसीय छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) प्रवास पर हैं। वह गुरूवार सुबह रायपुर पहुंची। भगवान जगन्नाथ (jagannath) के दर्शन के बाद अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का काफिला शांति सरोवर परिसर पहुंचा। यहां पर वे ब्रह्म कुमारी संस्थान के सकारात्मक परिवर्तन वर्ष 2023 के कार्यक्रम में शामिल हुईं। यहां पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का स्वागत शाल और प्रतीक चिन्ह से किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति ने दीप प्रज्वलित कर सकारात्मक परिवर्तन वर्ष 2023 का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, आज मैं बहुत खुश हूं कि, छत्तीसगढ़ की धरती पर आकर आप सबसे मिलने का अवसर मिला। राष्ट्रपति के रूप में छत्तीसगढ़ आकर अपने लोगों से मिलने की इच्छा पूरी हुई। कहावत है कि, छत्तीसगढ़िया... सबले बढ़िया। सबसे बढ़िया राज्य के सबसे बढ़िया मुख्यमंत्री यहां आए, इसके लिए उन्हें धन्यवाद। 

उन्होंने आगे कहा कि, अगर आप राम राज्य का सपना देख रहे हैं तो आपको राम और सीता बनना होगा। देश को विश्व गुरू बनाने के लिए उसी दिशा में कदम रखना होगा। हमारा देश नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। चाहे चांद पर तिरंगा लहराना हो या फिर विश्व स्तर पर खेल-कूद में नए अध्याय लिखने हों। वहीं उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा के स्टूडेंट्स के खुदकुशी करने के मामलों को लेकर भी चिंता जताई। राष्ट्रपति ने कहा कि, यह एक अत्यंत गंभीर विषय है। कुछ दिनों पहले ही NEET की तैयारी करने वाले दो विद्यार्थियों ने अपने जीवन, सपनों और अपने भविष्य का अंत कर दिया। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पढ़ाई कर रहे कई बच्चों ने पिछले दिनों आत्महत्या की है। उन्होंने कहा कि, प्रतिस्पर्धा एक सकारात्मक भाव है, जिससे जीवन संवरता है। हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, मुझे बहुत दुख होता है जब कुछ बच्चों में नकारात्मक भाव (negative sentiment) उत्पन्न हो जाते हैं। क्षणिक असफलता में भविष्य की सफलता निहित होती है। मेरी इस भावी पीढ़ी के परिवार के लोगों, दोस्तों, अध्यापकों और समाज से अपील है कि वे इन बच्चों की मानसिकता को समझकर इनकी सहायता करें। अगर बच्चों पर पढाई का, प्रतियोगिता का दबाव है तो सकारात्मक सोच से उसे दूर करें।

हर एक व्यक्ति को ईश्वर ने अलग बनाया है और सब में अनोखी प्रतिभाएं होती हैं। दूसरों से प्रेरणा लेना अच्छी बात है लेकिन अपनी रुचियों, अपनी क्षमताओं को समझकर सही दिशा का चुनाव करना चाहिए। कठिनाइयां तो हर व्यक्ति के जीवन में आती हैं लेकिन एक जागरूक मनुष्य कठिनाइयों को पार कर जाता है। सही अर्थों में सचेत व्यक्ति संवेदनशील और विनम्र होने के साथ-साथ आत्म-विश्वास से भरा होता है।

आज हम सब टेक्नोलॉजी (technology) के युग में जी रहे हैं और बच्चे भी आज कल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) की बात करते हैं। लेकिन यह आवश्यक है कि हम दिन के कुछ समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट (electronic gadget) से दूर रहें। एक बात मैं हर बच्चे, युवा और बुजुर्ग से कहना चाहती हूं कि सदा सकारात्मक विचार और अच्छे लोगों के साथ रहिए। ऐसे लोगों के बीच में रहिए जो आपको सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा दें और आगे बढ़ने में आपका साथ दें। ब्रहमाकुमारी बहनें और भाई भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी प्रेम, सद्भाव और शान्ति के विस्तार के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। किसी की सोच में बदलाव लाना आसान नहीं होता। अंत में, एक बार फिर मैं आप सबको छत्तीसगढ़ में ‘द ईयर ऑफ पाजिटीव चेंज’ (the year of positive change) की शुरुआत के लिए बहुत-बहुत बधाई देती हूं।

ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना, अपने ही घर आया है- मुख्यमंत्री बघेल

इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा- राष्ट्रपति जी का आगमन छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए गौरव का क्षण है। उनकी इस यात्रा के लिए मैं छत्तीसगढ़ के तीन करोड़ नागरिकों की ओर सेतहेदिल से धन्यवाद देता हूं। आज देश की मुखिया माननीय राष्ट्रपति के आगमन से हम छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के लोग विशेष आत्मीयता का अनुभव कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना, अपने ही घर आया है। 

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सकारात्मक सोच से दुनिया के किसी भी चुनौती का कर सकते हैं सामना

इसके बाद राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने भी सभा को संबोधित करते हुए कहा- सकारात्मक सोच से दुनिया के किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। आज की बैठक का विषय 'सकारात्मक परिवर्तन का वर्ष' आज की दुनिया में बहुत उपयुक्त है। मैं कहना चाहूंगा कि, सकारात्मक परिवर्तन का मतलब ऐसे परिवर्तन से है, जिसका लाभ व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को हो। 

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अपनी मान्यताओं और परंपराओं को बदलना जरूरी है

उन्होंने आगे कहा, जब कोई समाज सकारात्मक बदलाव को अपनाता है तब वह और अधिक मजबूत हो जाता है। हम सभी जानते हैं कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जो रूढ़िवादी और परंपरावादी समाज अपनी मान्यताओं और परंपराओं को बदलना नहीं चाहता वह मुख्यधारा से कट जाता है। मैंने देखा है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में दूसरों को बदलने के बजाय स्वयं परिवर्तन पर जोर दिया जाता है जो सराहनीय है। मुझे लगता है कि, यह संस्था आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के कार्य में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है।

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