सुरक्षा बलों के कैंप का विरोध : तीन परगना के आदिवासी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे, युवा नाच-गाने के माध्यम से दे रहे संदेश
उनका कहना है छिलपरस के आगे ग्राम गुंदुल में अभ्रक जैसे खनिज संसाधन हैं जिसे निकालने सुरक्षा बलों को बिठा कर पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए कार्य कर रही है। पढ़िए पूरी खबर...;
फ़िरोज़ खान- भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सुरक्षा बलों के लगातार दखल से आदिवासी समाज नाराज है। ग्राम छिलपरस कांकेर जिले के कोयलीबेड ब्लाक के अंतिम छोर पर स्थित है, माड़ एरिया से मिलते इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों का कैंप खुलने के विरोध में सैकड़ों लोग ग्राम छिलपरस में अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हुए हैं।
विरोध में बैठे ग्रामीणों के मुताबिक सरकार पूंजीपतियों के लिए सुरक्षा बलों का कैंप बना रही है, ताकि उद्योगपति क्षेत्र से उनके खनिज संसाधन का दोहन कर सकें। उनका कहना है छिलपरस के आगे ग्राम गुंदुल में अभ्रक जैसे खनिज संसाधन हैं जिसे निकालने सुरक्षा बलों को बिठा कर पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए कार्य कर रही है। यदि इस क्षेत्र में खनिज संसाधन नहीं होता तो सरकार के लोग हमारे क्षेत्र में झांकने तक नहीं आते।
गायन के माध्यम से ग्रामीणों को दिया संदेश
धरने पर बैठे आदिवासी युवक-युवतियों ने अपना पारंपरिक नृत्य किया। वहीं सीपीआई के नाट्य कला मंच के सदस्यों ने सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का विरोध जताते हुए गायन के माध्यम से ग्रामीणों को संदेश देने का प्रयास किया। इनका मानना है कि सरकार आदिवासी विरोधी है और पूंजीपतियों की शुभचिंतक है, ना कि आम आदिवासियों की।