Raipur: बाघ की बादशाहत बचाएंगे टाइगर रिजर्व के कोर, बफर जोन से शिफ्ट करने होंगे दो सौ से ज्यादा गांव
Raipur: राज्य में बाघों की पुन बसाहट के लिए टाइगर रिजर्व के कोर तथा बफर जोन में स्थापित दो सौ गांवों को किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात वन्यजीवों के जानकार कह रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...;
Raipur: बाघ संरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य एक बार फिर अन्य राज्यों की तुलना में फिसड्डी साबित हुआ है। सबसे कम बाघ वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ निचले क्रम से टॉप फाइव में दूसरे नंबर पर रहा है। ओडिशा के बाद छत्तीसगढ़, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, गोवा तथा झारखंड है। छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू भाग वनक्षेत्र है। इसके बावजूद यह राज्य बाघ की बादशाहत कायम रखने में पिछड़ा साबित हुआ है। बाघों की घटती संख्या वन अफसरों के लिए चिंता का विषय बन गया है। राज्य में बाघों की पुन बसाहट के लिए टाइगर रिजर्व के कोर तथा बफर जोन में स्थापित दो सौ गांवों को किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात वन्यजीवों के जानकार कह रहे हैं।
वन्यजीव विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू भाग कागजों में 44 प्रतिशत जरूर है। लेकिन राज्य बनने के 23 साल बाद वन अधिकार पट्टा बांटने के अलावा अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की वजह से राज्य में बाघों के अलावा अन्य प्रजातियों के वन्यजीवों की संख्या तेजी से घटी है। इसके चलते राज्य में मानव हाथी द्वंद्व की समस्या में बढ़ोतरी हुई है। वन्य विभाग के जानकारों के मुताबिक जंगल की रक्षा करने बाघों की उपस्थिति जरूरी है। साथ ही पड़ोसी राज्यों से बाघ लाकर इंट्रोड्यूस करने के बजाय जानकार बाघों की बसाहट के लिए पहले उनके लिए प्रे बेस तैयार करने तथा धरातल पर काम करने की बात कह रहे है।
इन टाइगर रिजर्व में इतने गांव
राज्य में वर्तमान में अचानकमार, इंद्रावती तथा उदंती सीतानदी तीन टाइगर रिजर्व है। तीनों टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) के कोर तथा बफर जोन में दो सौ से ज्यादा गांव हैं। टाइगर रिजर्व में मानव आबादी बढ़ने की वजह से यहां दूसरे राज्य के टाइगर रिजर्व से आने वाले बाघों की आवाजाही का क्रम टूट गया है। इस वजह से भी बाघों की संख्या में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है। अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में 19, इंद्रावती के कोर तथा बफर जोन में 91 तथा उदंती सीतानदी के कोर तथा बफर जोन में 99 गांवों की बसाहट है।
बाघों की बादशाहत वाले कॉरिडोर पर कब्जा
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) के कोर एरिया में शामिल रहे कवर्धा जिले के भोरमदेव अभयारण्य में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई कर कृषि भूमि बनाने के साथ गांव बसने की वजह से मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के ताडोबा अंधारी तथा नवेगाव नागझिरा से आने वाले बाघों के कदम ठिठक गए। महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के युवा बाघ, जो अपने लिए नए टेरिटरी की तलाश में यहां आते थे, उनके आने पर ब्रेक लग गया। इस वजह से भी यहां बाघों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो रही है। जानकार राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने अविलंब गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग कर रहे हैं।
निचले स्तर के टॉप फाइव राज्यों में इतने बाघ
बाघों (Tigers) की कम संख्या वाले जिन पांच राज्य के नाम सामने आए हैं, उनमें ओडिशा के अलावा छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड तथा गोवा का नाम शामिल हैं। ओडिशा टाइगर रिजर्व में एनटीसीए ने वर्तमान में 20 तथा छत्तीसगढ़ में 17, अरुणाचल प्रदेश में 9, गोवा मे 5 तथा झारखंड में एक बाघ होने की एनटीसीए ने पुष्टि की है। गोवा में वर्ष 2018 के मुकाबले 3 बाघों की वृद्धि हुई है, जबकि ओडिशा, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश में संख्या 2018 की तुलना में संख्या कम हुई है। इसमें छत्तीसगढ़ का भी नाम शामिल है।