राजीव शुक्ला ने कोल लेवी पर पूछा सवाल : नई नीति पर विचार कर रहा कोयला मंत्रालय, 4000 करोड़ नहीं लौटाएगा
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने कोल ब्लॉक की लेवी पर आज राज्यसभा में सवाल उठाया। उन्होंने खान मंत्रालय से कोल ब्लॉक्स से एकत्र की गई अतिरिक्त टैक्स की जानकारी मांगी थी ... पढ़िए पूरी खबर ...;
रायपुर। कोल ब्लॉक्स से मिलने वाली अतिरिक्त लेवी की रकम अब राज्यों को नहीं मिलेगी। केन्द्र सरकार ने लिखित तौर पर इसे स्पष्ट कर दिया है। देश भर के कोयला खदानों से केंद्र सरकार के पास इस मद में 6 हजार 976 करोड़ 30 लाख रुपए से अधिक राशि जमा है। इसमें चार हजार करोड़ रुपयों पर छत्तीसगढ़ का दावा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बार-बार इसके लिए केंद्र सरकार से पत्राचार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने कोल ब्लॉक की लेवी पर आज राज्यसभा में सवाल उठाया। उन्होंने खान मंत्रालय से कोल ब्लॉक्स से एकत्र की गई अतिरिक्त टैक्स की जानकारी मांगी थी और पूछा था कि राज्यों को कब तक उनके हिस्से की राशि दिए जाने की योजना है।
ये था राजीव शुक्ला का सवाल
राजीव शुक्ला ने इस पर सवाल किया था कि, छत्तीसगढ़ को उसके हिस्से के चार हजार करोड़ रुपए की राशि कब दी जाएगी। इसके लिखित जवाब में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लिखित जवाब में बताया कि, कोयला ब्लॉकों से अतिरिक्त लेवी के रूप में कुल 6 हजार 967 करोड़ 30 लाख रुपए एकत्र किए गए हैं। इसमें से करीब 60 फीसदी यानी 4 हजार 24 करोड़ 38 लाख रुपए की राशि सिर्फ छत्तीसगढ़ के 6 कोल ब्लॉक से अर्जित की गई है। केन्द्र सरकार ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से राय लेने के बाद ये तय किया है कि राज्यों को ये राशि नहीं दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया,छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इसके लिए एक याचिका भी दायर की है।
2019 से ही पत्राचार जारी है
उच्चतम न्यायालय के कोल ब्लॉक आवंटन पर दिए फैसले में खनिज पर राज्य सरकार के स्वामित्व होने की बात कही थी। खनिज अधिनियम - 2015 -16 में राज्य को कोयला खनन में एडिशनल लेवी मिलने का प्रावधान है। वित्तीय संकट से दो-चार राज्य सरकार इस रकम को निकालने की कोशिश में है। इसके लिए 2019 से ही पत्राचार जारी है। 2020 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय खान मंत्री को पत्र लिखकर यह रकम वापस मांगी थी। थक हारकर सरकार इस रकम की वापसी के लिए उच्चतम न्यायालय भी पहुंची है।