होली पर कोरोना की मार, रंग-गुलाल-पिचकारी की बिक्री आधी से भी कम

राज्य में होली का कारोबार 25 से 30 करोड़ रुपए का होता है, जिसमें रंग, गुलाल, पिचकारी की हिस्सेदारी ढाई से तीन करोड़ रुपए की है। इस वर्ष होली का कारोबार महज 15 से 20 करोड़ रुपए के बीच सिमटकर रह गया। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2021-03-29 09:46 GMT

रायपुर। रंगो के पर्व को कोरोना संक्रमण ने फीका कर दिया है। साथ ही शासन की गाइडलाइन की वजह से लोग सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने से परहेज कर रहे हैं। इस वजह से भी होली का बाजार इस वर्ष मंदा नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष जीतेंद्र बरलोटा के मुताबिक इस वर्ष में खाने-पीने के सामान की बिक्री अन्य वर्षों की तुलना में आधी रही।

गौरतलब है कि इस बार रविवार को होलिका दहन के बाद सोमवार को रंग-गुलाल खेला जा रहा है। इस वर्ष ज्यादातर जगहों में होलिका दहन का कार्यक्रम सादगीपूर्ण तरीके से मनाया जा रहा है। जिस रात होलिका दहन होता था, उस दिन दोपहर 12 बजे से ही होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो जाती थीं। इस वर्ष ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। गली-मोहल्लों के साथ चौक-चौराहों पर भी होलिका दहन को लेकर कोई उत्साह लोगों में नहीं दिखा।

राजधानी के साथ राज्य में रंग-गुलाल की मांग नहीं

गोलबाजार व्यापारी संघ के अध्यक्ष सतीश जैन के मुताबिक राज्य में होली का कारोबार 25 से 30 करोड़ रुपए का होता है, जिसमें रंग, गुलाल, पिचकारी की हिस्सेदारी ढाई से तीन करोड़ रुपए की है। इस वर्ष होली का कारोबार महज 15 से 20 करोड़ रुपए के बीच सिमटकर रह गया। जबकि होली में रंग, गुलाल तथा पिचकारी की बिक्री आधी भी नहीं रही।

राज्य के बाहर बिक्री में गिरावट

रायपुर में रंग, गुलाल के कई उद्योग संचालित हो रहे हैं। राजधानी के रंग, गुलाल की मांग पड़ोसी राज्य ओडिशा, झारखंड के साथ महाराष्ट्र में भी रहती है। कोरोना संक्रमण के चलते रंग, गुलाल की मांग दूसरे प्रदेशों में नहीं के बराबर रही। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष रंग, गुलाल उत्पादन करने वाले संचालकों ने उत्पादन में 50 प्रतिशत तक की कटौती की।

देसी पिचकारी की मांग ज्यादा

रंग, गुलाल के साथ पिचकारी की बिक्री कम रही, लेकिन इस वर्ष ज्यादातर दुकानदारों ने चाइनीज की जगह देश में बनी पिचकारी बेचने में ज्यादा रुचि दिखाई। साथ ही बच्चों के लिए अभिभावक देसी पिचकारी खरीदते नजर आए। साथ ही इस वर्ष बाजार में महंगी पिचकारी की मांग कम रही।

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