आरक्षण पर तकरार जारी, मुख्यमंत्री ने कहा- भाजपा के दबाव में राज्यपाल, विधेयक हस्ताक्षर योग्य नहीं तो वापस करें

आरक्षण के मुद्दे पर राजभवन और राज्य सरकार में तकरार जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर में हो रही देर को लेकर भाजपा पर जमकर निशाना साधा है।;

Update: 2022-12-28 00:45 GMT

रायपुर। आरक्षण के मुद्दे पर राजभवन और राज्य सरकार में तकरार जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर में हो रही देर को लेकर भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, विधेयक को लेकर राजभवन का रुख स्पष्ट नहीं है। राज्यपाल भाजपा के दबाव में हैं। राज्यपाल को हस्ताक्षर नहीं करना है, तो बिल वापस कर दें। वहीं विधिक सलाहकार के परामर्श को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा, लगता है विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठते हैं। रायपुर हैलीपैड पर पत्रकारों से चर्चा में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के बयान पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, बिल विभाग तैयार करता है। कैबिनेट मंजूरी देता है और विधानसभा में चर्चा के बाद पारित होता है, इससे पहले डा रमन सिंह ने कहा था कि मुख्यमंत्री की इच्छा से आया विधेयक है।

मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा, ये किसी एक की मर्जी से नहीं आया है, बल्कि ये विधेयक सभी दलों की सहमति से विधानसभा में पास हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्यपाल के अधिकार में जो है वो करें। राज्यपाल बिल को अनिश्चितकाल के लिए रखना चाहती हैं और इसके लिए वो बहाना ढूंढ़ रही हैं। विधेयक पर राजभवन का रुख स्पष्ट नहीं है, कभी कुछ कभी कुछ सवाल जवाब करते रहेंगे। भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण मामले पर राज्यपाल के साइन नहीं होने को लेकर भाजपा पर आरोप लगाया है। डॉ रमन सिंह ने बयान दिया है कि यह विधेयक मुख्यमंत्री की इच्छा से आया विधेयक है। ये जो बिल है विभाग तैयार करता है। कैबिनेट में प्रस्तुत होता है।

कैबिनेट के अप्रूवल के बाद विधानसभा में एडवाइजरी कमेटी के पास रखा जाता है और उसके बाद विधानसभा में उसकी चर्चा होती है। जहां तक आरक्षण बिल की बात है, सारी प्रक्रिया पूरी की गई है और विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ है। सभी लोगों ने इसमें भाग लिया है, विपक्ष का ऐसा कोई नहीं है जो इसमें शामिल नहीं हुआ हो। दूसरी बात आज तक भारतीय जनता पार्टी का एक भी नेता ने गवर्नर के पास जाकर एक भी बार नहीं कहा कि इसमें हस्ताक्षर करिए। जवाब पर निकाल रहीं खामियां भूपेश बघेल ने कहा, छत्तीसगढ़ की करीब 3 करोड़ जनता के हितों को देखकर जवाब भिजवा दिया। पता चल रहा है, फिर उसमें खामिया निकालेंगे। कुल मिलाकर राज्यपाल को हस्ताक्षर नहीं करना है, तो बिल वापस कर दें। उनके अधिकार क्षेत्र में है। बिल उचित नहीं लगता है, तो सरकार को वापस कर दें। दूसरा राष्ट्रपति को भेजें, तीसरा अनिश्चितकाल तक रखे रहें, तो अनिश्चितकाल तक रखना चाहती हैं उसके लिए बहाना ढूंढ रही हैं, तो यह कतई उचित नहीं है।

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