राहत भरी खबर : रायपुर में 1200, प्रदेश में 3000 से ज्यादा ऑक्सीजन बेड खाली, मारामारी खत्म

वायरस का प्रकोप कम हुआ है, इसकी गवाही अस्पतालों में कम होता दबाव है। 15 दिन पहले रायपुर में हालात इस कदर खराब थे कि यहां के मरीजों को आक्सीजन के लिए आसपास के जिलों, यहां तक कि बिलासपुर तक जाना पड़ रहा था। दर्जनों संक्रमितों की सांसें इसलिए उखड़ गईं क्योंकि उन्हें समय पर आक्सीजन नहीं मिल पाई।;

Update: 2021-05-02 04:33 GMT

रायपुर. वायरस का प्रकोप कम हुआ है, इसकी गवाही अस्पतालों में कम होता दबाव है। 15 दिन पहले रायपुर में हालात इस कदर खराब थे कि यहां के मरीजों को आक्सीजन के लिए आसपास के जिलों, यहां तक कि बिलासपुर तक जाना पड़ रहा था। दर्जनों संक्रमितों की सांसें इसलिए उखड़ गईं क्योंकि उन्हें समय पर आक्सीजन नहीं मिल पाई। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। ऑक्सीजन बेड को लेकर मचा हाहाकार भी अब थम-सा गया है। रायपुर में ही इस समय करीब 1200 ऑक्सीजन वाले बेड खाली हैं। वहीं, प्रदेश में 3000 ज्यादा बेड खाली हैं। हालांकि बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ जैसे शहरों में अभी भी मारामारी मची है।

कोरोना के इस बार के कहर में सबसे ज्यादा परेशानी आक्सीजन को लेकर सामने आई। सांस लेने में तकलीफ के ज्यादा मामले सामने आने पर ऑक्सीजन वाले बेड को लेकर भारी हाहाकार मचा रहा। एक एक बेड के लिए भारी सिफारिश तक करनी पड़ी है। यहां तक कि सरकार को आदेश करना पड़ा कि बेड उपलब्धता के आधार पर दिए जाएं, न कि वीआईपी को। लेकिन वे दिन अब बीत रहे हैं। अब स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है। डॉक्टरों की मानें तो कम से कम रायपुर में पीक अब ढलान पर है। ऐसे में ऑक्सीजन बेड भी खाली होते जा रहे हैं।

सामाजिक संस्थाओं के सेंटर में भी बेड खाली

रायपुर में कुछ सामाजिक संस्थाएं भी कोविड सेंटर चला रही हैं। काइट कालेज के कृति कोविड सेंटर में 60 बेड ऑक्सीजन वाले हैं। यहां पर पांच ही बेड खाली हैं। विश्व हिंदू परिषद ने देवेंद्र नगर और सरस्वती शिशु मंदिर, डगनिया में 20-20 ऑक्सीजन बेड वाले कोविड सेंटर बनाए हैं। इनमें 21 बेड खाली हैं। इसी तरह से समता कालोनी में चल रहे कोविड सेंटर में 38 में से 20 बेड खाली हैं। जैनम का एक सेंटर रविवार से प्रारंभ हो रहा है। इसमें ऑक्सीजन वाले 42 बेड रहेंगे।

38 सौ में 12 सौ खाली

रायपुर में बड़े सरकारी अस्तपालों के साथ निजी अस्पतालों की बात करें तो यहां पर 3832 बेड ऑक्सीजन वाले हैं। एक सप्ताह पहले की बात करें तो कहीं किसी को ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहे थे। एक-एक बेड के लिए मारा-मारी मची थी। लोग बेड पाने के लिए सिफारिश लगाने का काम कर रहे थे। निजी अस्पतालों में तो लोग किसी भी कीमत पर ऑक्सीजन वाले बेड चाह रहे थे। लेकिन अब स्थिति बहुत ज्यादा सुधर गई है। सरकारी के साथ निजी अस्पतालों को मिलाकर 12 सौ बेड ऑक्सीजन वाले बेड खाली हो गए हैं। जहां तक प्रदेश का सवाल है तो प्रदेश में 10713 बेड ऑक्सीजन वाले हैं, इनमें से शनिवार को 3221 बेड खाली थे।

ऑक्सीजन वाले कहां कितने बेड खाली

अंबेडकर अस्पताल में 81

माना कोविड सेंटर में 8

लालपुर अस्पताल 20

इंडोर स्टेडियम में 160

आयर्वेदिक कॉलेज में 150

अंबेडकर, एम्स, इंडोर स्टेडियम, निजी अस्पतालों के साथ सामाजिक संस्थानों के कोविड सेंटरों में भी अब मारा-मारी वाली स्थिति नहीं।

असली तस्वीर लॉकडाउन के बाद

पहली लहर के बाद लोगों ने सतर्क रहना, सुरक्षा बरतना छोड़ दिया था। उसका नतीजा प्रदेश में दूसरी लहर के रूप में सामने आया था। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रायपुर समेत कई जिलों में पीक निकल रहा है, लेकिन यह वक्त अभी ज्यादा सतर्क रहने का है। अभी लॉकडाउन है। उसकी वजह से भी मामले कम आ रहे हैं। असली चुनौती लॉकडाउन के बाद ही सामने आएगी।

अब मारा-मारी नहीं

मरीजों के ठीक हाेने की संख्या बढ़ने के कारण अब पहले जैसी मारामारी वाली स्थिति नहीं है। ऑक्सीजन वाले बेड भी बहुत संख्या में खाली हो गए हैं। हालांकि अभी बेहद सतर्क रहने का वक्त है। आने वाले 15 दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं।

-डाॅ. सुभाष मिश्रा प्रवक्ता स्वास्थ्य विभाग

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