एक तिहाई कांग्रेस विधायकों के टिकट की राह आसान नहीं, मुख्यमंत्री टटोल रहे उनकी स्थिति
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का दो तिहाई विधानसभा सीटाें पर कब्जा है। इन पर कब्जा बनाए रखने पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने में सावधानी बरतनी जरूरी है।;
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का दो तिहाई विधानसभा सीटाें पर कब्जा है। इन पर कब्जा बनाए रखने पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने में सावधानी बरतनी जरूरी है। पार्टी ने इसे देखते हुए अपने विधायकों की कार्यक्षमता का आकलन संगठन के माध्यम से किया जाता रहा है। प्रदेश संगठन की ओर से तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद कराए गए सर्वे में करीब 30 प्रतिशत विधायकों की परफार्मेंस ठीक नहीं पाई गई। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल थे। यह चुनावी साल है, अभी से चुनावी माहौल का अंदाजा लगाया जा रहा है। एक तिहाई विधायकों के साथ कुछ मंत्रियों का भी टिकट कट सकता है।
विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने भाजपा के डेढ़ दशक के शासन को खत्म कर दिया था। कांग्रेस को तीन चौथाई से भी ज्यादा सीटें हासिल हुई थीं। कांग्रेस ने 43 फीसदी वोट हासिल करते हुए 68 सीटें जीती थीं। भाजपा 33 फीसदी वोट के साथ 15 सीटें ही जीत पाई थी। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 5 और बसपा को 2 सीटों पर जीत मिली थी। उपचुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस के पास 71 विधायक और भाजपा के पास 14 विधायक हैं। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास तीन और बहुजन समाज पार्टी के पास दो विधायक हैं। बहुमत के तौर पर सभी विधायकों को टिकट मिलेगा या नहीं, यह हाईकमान तय करेगा। मुख्यमंत्री अपने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के बहाने लगभग दो तिहाई विधानसभा सीटों तक पहुंचने में सफल रहे। वे वहां पर प्रशासन की गतिविधियों के अलावा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति का आकलन कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लहर के कारण जीत गए थे, लेकिन इस बार इसका प्रभाव देखने को शायद ही मिले। ऐसे में पार्टी भी उन नेताओं की कुंडली खंगालेगी, जो पिछली बार कांग्रेस लहर में जीते थे। इसके अलावा उन नेताओं का रिपोर्ट कार्ड भी देखा जा रहा है, जो चुनाव तो जीत गए हैं, लेकिन अपने क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे हैं या फिर जनता से उनकी दूरी रही है।
हर क्षेत्र पर नजर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर वहां के तीन स्थानों का अवलोकन करने के बाद सामाजिक संगठनों, सरकारी अफसरों और आम लोगों से मिलकर यह जानने के प्रयास कर रहे हैं कि कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि की स्थिति कैसी है। जहां पर कांग्रेस विधायक नहीं हैं, वहां किसे विकल्प के तौर पर आगे लाया जा सकता है। उनका यह दौरा मार्च तक पूरा होने की संभावना है। उसके बाद वैसे भी पार्टी कार्यक्रमों में चुनाव को लेकर दौरे शुरू हो जाएंगे।