RTE Admissions : तारीख बढ़ाई फिर भी आरटीई की 20% सीटें खाली, क्योंकि चाहिए सिर्फ इंग्लिश मीडियम

पिछले वर्ष प्रदेश में आरटीई की 83 हजार सीटें थीं। इस बार आरटीई (RTE )की 55 हजार सीटों के लिए ही आवेदन मंगाए गए थे। सीटें कम होने के कारण उम्मीद की जा रही थी कि इस बार सभी सीटें भर जाएंगी, लेकिन तमाम कोशिशों और सीटें बढ़ाए जाने के बाद भी सीटें रिक्त रह गई हैं। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-08-25 06:50 GMT

रायपुर। प्रदेश में आरटीई (RTE )की 20 प्रतिशत सीटें रिक्त रह गई हैं। यह स्थिति तब है, जब इस बार आरटीई की सीटें 30 हजार घटी हैं। पिछले वर्ष प्रदेश में आरटीई की 83 हजार सीटें थीं। इस बार आरटीई (RTE )की 55 हजार सीटों के लिए ही आवेदन मंगाए गए थे। सीटें कम होने के कारण उम्मीद की जा रही थी कि इस बार सभी सीटें भर जाएंगी, लेकिन तमाम कोशिशों और सीटें बढ़ाए जाने के बाद भी सीटें रिक्त रह गई हैं। आरटीई के तहत द्वितीय चरण के लिए लॉटरी प्रक्रिया 2 से 7 अगस्त तक चली। जिन छात्रों के नाम सूची में थे, उन्हें 8 से 20 अगस्त तक का समय प्रवेश के लिए दिया गया था।

छात्रों (students )द्वारा प्रवेश संबंधित प्रक्रिया पूर्ण किए जाने के बाद स्कूलों (Schools)ने अपने यहां की स्थिति अपडेट कर दी है। अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 6 हजार 572 स्कूलों में 55 हजार 191 सीटें हैं। इनमें से सिर्फ 44 हजार 598 में ही दाखिले हुए हैं। इनमें से 10 हजार 593 सीटें रिक्त रह गई हैं, जो कुल सीटों का लगभग 20 प्रतिशत है। चूंकि प्रवेश बंद कर दिए गए हैं और तीसरे चरण की प्रक्रिया अब नहीं होगी, इसलिए ये सीटें खाली ही रह जाएंगी।

आत्मानंद स्कूल प्राथमिकता

निजी हिंदी माध्यम विद्यालयों में प्रवेश के स्थान पर स्वामी आत्मानंद इंग्लिश माध्यम विद्यालयों (Swami Atmanand English medium schools )को प्राथमिकता दे रहे हैं। सबसे अधिक नुकसान छोटे स्तर के हिंदी माध्यम विद्यालयों को उठाना पड़ रहा है। बड़े हिंदी माध्यम विद्यालयों (Hindi medium schools)में पालक अपने बच्चों को प्रवेश दिला रहे हैं, लेकिन छोटे स्तर के हिंदी माध्यम विद्यालयों में नाम आने पर वे दाखिला नहीं ले रहे हैं। प्रत्येक वर्ष खाली रह जाने वाली आरटीई सीटों में 80 प्रतिशत से अधिक हिंदी माध्यम की ही होती है। इस बार भी यही स्थिति है।

हिंदी माध्यम में हैं सीटें

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन( Private School Association)के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि, आरटीई के अंतर्गत हिंदी माध्यम विद्यालयों में सीटें रिक्त रह गई हैं। बच्चों के नाम सूची में आए थे, फिर भी उन्होंने प्रवेश नही लिया। इंग्लिश माध्यम के प्रति रूझान के चलते यह स्थिति बनी है।

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