आरक्षण पर बवाल : सर्व आदिवासी समाज ने लिया सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय, केस लड़ने के लिए समाज के सांसद-विधायक देंगे एक माह का वेतन
बैठक में सर्व आदिवासी समाज के नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है। आरक्षण के मुद्दे को लेकर आदिवासी समाज हर स्तर की लड़ाई लड़ने को तैयार है। अब इस आरक्षण की लड़ाई में नेता-मंत्रियों के साथ-साथ आदिवासी कर्मचारी संघ भी जुड़ गया है। पढ़िए पूरी खबर...;
रायपुर। राजधानी रायपुर में सर्व आदिवासी समाज की बैठक हुई। इसमें आरक्षण के मुद्दे को लेकर चर्चा की गई। इस मुद्दे पर सर्व आदिवासी समाज ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब छत्तीसगढ़ सरकार के अलावा आदिवासी समाज भी सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
दरअसल आज राजधानी रायपुर के सर्किट हाउस में सर्व आदिवासी समाज की बैठक हुई है। इस बैठक में आरक्षण के मुद्दे को लेकर विशेष चर्चा की गई। इस बैठक में सर्व आदिवासी समाज के नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है। आरक्षण के मुद्दे को लेकर आदिवासी समाज हर स्तर की लड़ाई लड़ने को तैयार है। अब इस आरक्षण की लड़ाई में नेता-मंत्रियों के साथ-साथ आदिवासी कर्मचारी संघ भी जुड़ गया है।
32 प्रतिशत आरक्षण के लिए लड़ेंगे हर लड़ाई
इस बैठक में विधायक, मंत्री, सांसद सहित आदिवासी समाज के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण मिलने तक हर स्तर की लड़ाई लड़ने का फैसला आदिवासी समाज ने लिया है। बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 32 प्रतिशत को कम करके 20 प्रतिशत किया गया है। इस पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आदिवासी समाज ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।
आदिवासी नेता अपना एक-एक माह का वेतन देंगे
वहीं, इस लड़ाई के लिए आदिवासी सांसद और विधायक इस केस को लड़ने के लिए अपने एक-एक माह का वेतन देंगे। इस बैठक के बाद मंत्री कवासी लखमा का भी बड़ा बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने दीपावली के बाद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 32 प्रतिशत आरक्षण के निराकरण का की बात कही है।