स्कूलों से पहले दिन का जलसा गायब, आधे स्कूलों में आधे बच्चे भी नहीं आए

राज्य शासन के आदेश पर भले ही प्रदेशभर में स्कूल खुल गए हो, लेकिन शुरूआती दो दिनों की उपस्थिति पर नजर डाले तो स्पष्ट होता है कि पालक अभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हुए हैं। स्थिति यह है कि कई स्थानों पर बच्चों को स्कूल आने के लिए उत्साहित करने के लिए शिक्षकों को घर-घर पहुंचकर जनसंपर्क करना पड़ रहा है। वहीं संक्रमण को लेकर पालकों में भय भी बना हुआ है।;

Update: 2021-08-04 01:00 GMT

राज्य शासन के आदेश पर भले ही प्रदेशभर में स्कूल खुल गए हो लेकिन शुरूआती दो दिनों की उपस्थिति पर नजर डाले तो स्पष्ट होता है कि पालक अभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हुए हैं। स्थिति यह है कि कई स्थानों पर बच्चों को स्कूल आने के लिए उत्साहित करने के लिए शिक्षकों को घर-घर पहुंचकर जनसंपर्क करना पड़ रहा है। वहीं संक्रमण को लेकर पालकों में भय भी बना हुआ है।

राजनांदगांव में जहां पहले दिन 40 फीसदी तक भी उपस्थिति मीटर नहीं पहुंच पाया था। वहीं दूसरे दिन यह आंकड़ा और लुढ़क गया है। प्रायमरी स्कूलों के बच्चों का न आना तो समझ आता है लेकिन 10वीं-12वीं की कक्षाएं भी लगभग इलाकों में वीरान रही। हालात यह है कि कई स्कूलों में बच्चों के नहीं आने के चलते पढ़ाई शुरू तक नहीं हो सकी जबकि शहर सहित पूरे जिले में ऐसी 50 से अधिक स्कूलें हैं, जहां पालकों व जनप्रतिनिधियों की मनाही के चलते संचालन शुरू नहीं हो पाया है।

नहीं बढ़ रही स्कूलों में उपस्थिति

धमतरी में भी छात्र स्कूल आने में रूचि नहीं ले रहे हैं। गांवों में शिक्षक जनसंपर्क कर रहे हैं। रूद्री स्कूल में कक्षा 10 वीं में 116 छात्र हैं। सोमवार को स्कूल के पहले दिन 58 छात्र आए थे। मंगलवार को दूसरे दिन मात्र 28 छात्र ही स्कूल आए। 12 वीं कक्षा में 87 दर्ज संख्या है। काॅमर्स में 27 और आर्ट्स, साइंस को मिलाकर 34 छात्र उपस्थित रहे। रूद्री प्रायमरी स्कूल में 79 की दर्ज संख्या है। इसमें से कुल 29 छात्र ही उपस्थित थे।

करेठा प्राथमिक शाला में 75 में से 28 बच्चे उपस्थित थे। रूद्री स्कूल में छात्रों ने खुद ही स्कूल की सफाई की। कुछ बच्चे फर्श धो रहे थे, तो कुछ झाडू लगा रहे थे। शासन के निर्देशानुसार छठवीं और सातवीं की पढ़ाई मोहल्ला क्लास के माध्यम से करवाई जानी है लेकिन यहां पर आठवीं के साथ सातवीं कक्षा के छात्रों को भी बुला लिया गया था।

बंद कराए गए 17 स्कूल

दुर्ग में स्कूल खुलने के दूसरे दिन भले ही छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ हो, लेकिन इस बीच जिले के तीन ब्लाक में स्कूल के आस-पास कोरोना मरीज मिलने के चलते स्कूलों को तत्काल बंद करा दिया गया है। दुर्ग की शासकीय प्राथमिक शाला डिपरापारा व धमधा ब्लाक में शाप्रा शाला खर्रा, शाप्रा शाला मुर्रा के आलावा पाटन में शार्पू माध्यमिक शाला झीट, शापूमा शाला चीचा, शापूमा शाला

धौराभांठा, शापूमा शाला उरला, शापूमा शाला टेमरी, शाप्रा शाला कोपेडीह, शाप्रा शाला झीट, शाप्रा शाला चीचा, शाप्रा शाला धौराभाठा, शाप्रा शाला उरला, शाप्रा शाला खुडमुडा, शाप्रा शाला अमलेश्वर, शाप्रा शाला डीह, शाप्रा शाला बजरंग पारा अमलेश्वर, शाप्रा शाला टेमरी, शाउमाशा झीट व शाप्रा शाला उफरा स्कूलों को बंद कर दिया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि दूसरे दिन प्राथमिक, मिडिल और दसवी बारहवी के 47 फीसदी बच्चे स्कूल पहुंचे।

पहले के मुकाबले कम हो गई संख्या

गरियाबंद में 2 अगस्त को स्कूल खुलने के दूसरे दिन स्कूलों में बच्चों की संख्या पहले दिन के मुकाबले कम हो गई। स्कूल प्रबंधन ने पहले दिन उपस्थित अच्छे बताने खूब मेहनत की, लेकिन दूसरे दिन अधिकांश बच्चों ने स्कूल से दूरी बना ली। स्कूलों में उपस्थिति जानने हमने जिले के बहुत से स्कूलों में पहुंचकर देखा, शिक्षकों से चर्चा की। जिसमें पता चला कि पहले दिन के मुकाबले स्कूल खुलने के दूसरे दिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति संख्या कम रही।

स्कूलों के संचालन में आड़े आ रही

महासमुंद में स्कूल तो खुल गए लेकिन, छात्रों की उपस्थिति और पालकों की सहमति स्कूलों के संचालन में आड़े आ रही है। स्कूल खुलने के दूसरे दिन कहीं उपस्थिति की भरमार रही, तो कहीं 50 फीसदी से भी कम छात्र स्कूल पहुंचे। पालकों की मानें तो वे अब भी छात्रों को स्कूल भेजने के लिए सहमत होने का मन नहीं बना पा रहे है।

मंगलवार को हरिभूमि टीम ने शहर के प्राथमिक शाला गंजपारा स्कूल की स्थिति का जायजा लिया। यहां मंगलवार को सोमवार की अपेक्षा उपस्थिति दोगुनी उपस्थिति नजर आई लेकिन, दर्ज संख्या 70 के मुकाबले यह उपस्थिति महज 20 फीसदी रही। बता दें कि पालक अपने पाल्यों को संक्रमण के भय से स्कूल भेजने सहमत नहीं हो पा रहे हैं।


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