सड़क पर सिक्योरिटी का ब्रेकर : सुरक्षा नहीं मिली तो ,बस्तर में रुक गए 2000 करोड़ के निर्माण

बस्तर जंगलों से घिरा हुआ और दुरूह इलाका है। मुख्य मार्गो से छोटे - छोटे गॉव तक पहुंचना कठिन होता है। केंद्र और राज्य सरकारों की मंशा है कि छोटे गांव तक भी सड़क पहुंचे ताकि विकास की रफ्तार बढ़े। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-07-23 04:46 GMT

 लीलाधर राठी / सुकमा। नक्सलियों के खौफ की वजह से बस्तर संभाग की सड़कें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं। संभाग में 31 मार्च की स्थिति में मार्गों से जुड़े छोटे-छोटे गांव तक पहुंचना 262 सड़कें अधूरी व काम शुरू होने की प्रत्याशा में हैं। पुलिस का कहना है कि, एक साथ सभी जगह सुरक्षा नहीं दी जा सकती। वहीं निर्माण से  जुड़े अफसर कहते हैं कि बिना सुरक्षा कम संभव ही नहीं है।

उल्लेखनीय है कि, बस्तर जंगलों से घिरा हुआ और दुरूह इलाका है। मुख्य मार्गो से छोटे - छोटे गॉव तक पहुंचना कठिन होता है। केंद्र और राज्य सरकारों की मंशा है कि छोटे गांव तक भी सड़क पहुंचे ताकि विकास की रफ्तार बढ़े। लेकिन बस्तर संभाग के कई जिलों में या तो आधी अधूरी सड़कों को बना कर छोड़ दिया गया या फिर उक्त क्षेत्र में कार्य शुरू तक नहीं किया गया। आलम यह है कि सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कांकेर जिले की 262 सड़कें पिछले 5 वर्षों से उखड़ी पड़ी हैं या अधूरी हैं। वहीं सुकमा जिले की 82 सड़कों को सुरक्षा का हवाला देते हुए कार्य नहीं होना बताया गया है।

सबको एक साथ सुरक्षा देना संभव नहीं

सुरक्षा को लेकर सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने कहा कि सड़कें हमारी प्राथमिकता में हैं, पर एक साथ सभी सड़कों को सुरक्षा देना संभव नहीं है। बावजूद इसके पिछले वर्ष हमारे द्वारा 40 से 50 सड़कों को सुरक्षा देकर पूर्ण कराया गया था। सड़क सुरक्षा के साथ-साथ पुलिस को नक्सल ऑपरेशन भी देखना होता है।


सड़कों पर होने 1841 करोड खर्च

बस्तर संभाग की 262 सड़क के लिये 1841 करोड़ रुपए खर्च होने थे। संभाग के विभिन्न जिले में 1800 किमी यानि सुकमा से दिल्ली तक की दूरी जितनी प्रधानमंत्री सड़कों से संपूर्ण बस्तर संभाग में सड़कों का जाल बिछाया जाना था। बताया जाता है। कि उक्त सभी कार्यों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कुछ फीसदी राशि भी राज्य शासन को भेज दी गई थी। सुकमा जिले की बात करें, तो यहां के कार्यों के लिए 233 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गये थे। इस राशि से सुकमा जिले में कुल 433 किलोमीटर यानि सुकमा से रायपुर जितनी दूरी तक की सड़क बननी थी ।

घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बिना सुरक्षा कैसे काम करें

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता अनिल राठौड़ से अपूर्ण कार्यों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि जितने भी कार्य हैं वो घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के हैं। पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान न किये जाने के कारण कार्य नही हो पा रहे हैं। बिना सुरक्षा के सड़क निर्माण संभव ही नहीं है।


बीजापुर में 121 तो सुकमा में 82 कार्य अपूर्ण

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार ,बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा 121 कार्य बीजापुर में अपूर्ण हैं, जबकि सुकमा में 82 व दंतेवाड़ा में 33 व कांकेर में 18 सड़क कार्य प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गई हैं। सुकमा जिले के 82 में से 66 कार्य सिर्फ कोंटा ब्लॉक से है। जबकि सुकमा ब्लॉक के 10 व छिंदगढ़ ब्लॉक के 61 कार्य वर्षों से लंबित हैं। सुकमा जिले में कार्य नहीं होने के पीछे विभाग ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए घने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के कारण अल्प अवधि के लिए सुरक्षा प्रदान की गई है, इसलिए प्रगति धीमी है बताया गया है। जबकि अन्य स्थानों पर भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र का हवाला देते हुए सुरक्षा नहीं देने की बात कही गई है।

Tags:    

Similar News