सिरपुर : छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां देवी-देवताओं को मनाने खाली पांव रहते हैं ग्रामीण

दुनिया मे एक से बढ़कर एक अजीबो-गरीब किस्से हैं। जरा सोचिए कि आप क्या बिना जूते चप्पल के क्या पूरे 1 दिन भी रह सकते है? लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जहां के सारे लोग अपने रूठे देवताओं को मनाने नंगे पाव रहकर दिन गुजारते हैं। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2021-10-26 08:46 GMT

महासमुंद। जिले के सिरपुर गांव में यह परम्परा सदियों से पूर्वजों के जमाने से चलती आ रही है। सिरपुर गांव पर जब-जब भी विपदा और संकट का साया आया है, तब-तब पूरा गांव इस परंपरा को निभाते हुए अपने देवी देवताओं को मनाते आ रहा है।

आपको बता दें कि सिरपुर पुरातात्विक नगरी के रूप से प्रसिद्ध है, जहाँ विश्व भर से पर्यटक भ्रमण पर आते हैं, लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है, जब गांव में प्रवेश करने की पूरी तरह मनाही हो जाती है। चाहे वह मंत्री हो या अफसर। जब तक कोई इमरजेंसी ना हो, सिरपुर गांव के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता। वह एक दिन होता है देवी देवताओं को मनाने का।

यहां के ग्रामीणों का मानना है कि गांव में जब भी विपदा की घड़ी आ जाती है या किसी भी तरह की जन हानि या फसल नुकसानी से ग्रामीणों को जूझना पड़ता है, तो गांव की सुख-शांति के लिए यह पूजा-पाठ की जाती है। मौजूदा समय में कोरोना के कारण गांव में हुई जनहानि के कारण ग्रामीणों ने पूजा की है। यहां मान्यता है कि यहां के देवी-देवता या पूर्वजों के रुष्ट हो जाने के कारण पूरे गांव में इस तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसके बाद पूरे गांव में बैद और पुजारियों की सलाह पर रूठे देवी-देवताओं को मनाने के लिए यह पूजा-पाठ का कार्यक्रम किया जाता है। इसमें सिरपुर गांव के ग्रामीण पूरे गांव को बेरिकेडिंग से बंद कर देते हैं। साथ ही पूरे गांव में मुनादी करा दी जाती है कि अब किसी को जूते-चप्पल नहीं पहनने हैं। सभी ग्रामीण गांव की इस परम्परा को बखूबी निर्वहन भी करते दिखाई देते हैं। कोई भी व्यवसाय हो सभी ग्रामीण आज के दिन अपना बंद रखते हैँ। सुबह से ही देवी-देवताओं की पूजा कर पूरे 1 दिन तक नंगे पाव खुद सड़कों पर पहरा देते हैं, ताकि गांव में कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश ना करें। इस दौरान चाहे मंत्री हों या कोई अफसर, गांव में इस पूजा-पाठ के दौरान प्रवेश नहीं कर सकते। इस दिन आने वाले पर्यटकों घूमने आते हैं, उन्हें गांव में प्रवेश न करने की सलाह दी जाती है। एक पूरे दिन इसी तरह खाली पांव पूजा अर्चना करने के बाद अगले दिन सारा कुछ गांव में सामान्य हो जाता है। लोग जूते चप्पल पहनकर अपने-अपने काम पर लग जाते हैं। यहां के ग्रामीण और ग्राम सचिव का कहना है कि जब-जब गांव में विपदा आती है या जनहानि होती है, तब-तब हम इस पूजा-पाठ को पूरे विधि-विधान से करते हैं। देखिए वीडियो-

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