सीता नवमीं पर विशेष : माता सीता ने यहां बनाई थी रसोई, 17 कक्षों वाला हर चौका आज भी है सबूत
वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित सीतामढ़ी-हरचौका को उनका पहला पड़ाव माना जाता है। क्या और कैसा है माता सीता का छत्तीसगढ़ से... जानने के लिए पढ़िए...;
रविकांत सिंह राजपूत-मनेन्द्रगढ़। रामनवमी पर भगवान राम के छत्तीसगढ़ से संबंध को आपने अब तक कई बार पढ़ा होगा, लेकिन आज सीता नवमी पर हरिभूमि आपको माता सीता का छत्तीसगढ़ से संबंध बता रहा है। भगवान राम का छत्तीसगढ़ प्रवेश कोरिया जिले से ही हुआ था। जनकपुर से 27 किलोमीटर दूर सीतामढ़ी से भगवान राम माता सीता के साथ छत्तीसगढ़ में प्रवेश किये थे। इस जगह को सीतामढ़ी हरचौका के नाम से जाना जाता है।
हरचौका का मतलब हरि की रसोई होता है। सीतामढ़ी में सीता मां ने रसोई बनाई थी, इसलिए सीतामढ़ी का नाम सीतामढ़ी हरचौका हो गया। जनकपुर से 27 किमी. दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में मवई नदी के किनारे सीतामढ़ी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी सीता ने इस जगह रसोई बनाई थी, और फिर यहीं पर भोजन भी किया था। मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी-हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं। इसे सीता की रसोई के नाम से जाना जाता है। यहां एक शिलाखंड है। लोग इसे भगवान राम का पद-चिन्ह मानते हैं। मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष बनाए गए हैं। खास बात यह है कि 12 कक्ष में शिवलिंग स्थापित हैं। इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम के साथ माता सीता और लक्ष्मण ने 12 साल छत्तीसगढ़ में बिताये थे। इसी दौरान राम, सीता और लक्ष्मण सबसे पहले छत्तीसगढ़ में सीतामढ़ी पहुंचे और यहां माता सीता ने अपनी रसोई बनाई इसलिए नाम पड़ गया सीतामढ़ी हरचौका। छत्तीसगढ़ में 12 साल रहने के दौरान भगवान राम और माता सीता कोरिया से लेकर बस्तर तक में रहे। सरकार इस पूरे मार्ग को राम वन पथ गमन के नाम से विकसित कर रही है।
यह जगह रामायण काल के समय से भगवान राम से जुड़ा होने के कारण प्रसिद्ध है। वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित सीतामढ़ी-हरचौका को उनका पहला पड़ाव माना जाता है।