हरिभूमि-आईएनएच के कार्यक्रम "किसानों की बात उद्यमियों के साथ" में प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल हुए शामिल

सीएम ने 703 किसानों की शहादत पर रखवाया मौन, देश की अर्थव्यवस्था को बचाना है तो डालना होगा किसानों की जेब में पैसा, सर्वज्ञानी होने, खुदा होने का भाव खतरनाक, यही बात तीन कृषि कानूनों को लेकर भी रही -भूपेश बघेल। इस ख़बर में पढ़िए मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में किन बिन्दुओं पर और क्या-क्या कहा..;

Update: 2021-12-21 10:26 GMT

हरिभूमि-आईएनएच के कार्यक्रम "किसानों की बात उद्यमियों के साथ" में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल होने आए, इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस कार्यक्रम में आज तीनों वर्ग के लोग को एक मंच पर बुलाना चर्चा में है। बात किसानों की अर्थव्यवस्था की है। ये सबके जीवन से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब देश के 33 करोड़ लोगों को अनाज उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती थी। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि हमें अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनना है। किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार किया। हम अनाज के मामले में आत्मनिर्भर हो गए। इसके बाद जैसे-जैसे आधुनिकीकरण हुआ, मशीनीकरण हुआ, हाईब्रिड का जमाना आ गया। अब उत्पादन बढ़ गया है कि कृषि उत्पाद ही एक समस्या बन गए हैं।

केंद्र ने तीन साल में नहीं दी अनुमति

इस मंच से श्री बघेल ने एक बार फिर केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हम सरप्लस धान से एथेनाल बनाने की अनुमति मांग रहे हैं केंद्र अनुमति नहीं दे रहा है। 12 उद्योगों से एमओयू हो चुका है। जब हम प्रस्ताव दे रहे हैं तो अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। जब मक्का, गन्ना से एथेनाल बन सकता है तो धान से क्यों नहीं। देश के किसानों से एमएसपी पर धान खरीद भी लेेंगे तो करेंगे क्या। दिल्ली में बैठी सरकार को ये समझ में नहीं आ रहा है,क्योंकि में कांग्रेसी हूं। कृषि उत्पाद भी बढ़ रहे हैं तो ये समस्या नहीं है। श्री बघेल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद उद्योगों का पहिया सबसे पहले कहीं घूमा है तो वह छत्तीसगढ़ है। क्योंकि हमने लॉकडाउन के पहले उद्योगपतियों से बात की थी। यही नहीं राज्य की उद्योग नीति बनाने में भी उद्योगपतियों की सलाह ली।

असहमति का हो सम्मान

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में असहमति का भी सम्मान होना चाहिए। देश में आठ प्रकार के दर्शन हैं। अगर देश में असहमति नहीं होती तो दूसरे दर्शन बनते ही नहीं। एक दर्शन नहीं चला तो दूसरे दर्शन को सामने लाया गया। हमको इस देश में सभी प्रकार की चर्चा में भाग लेना चाहिए,सुनना चाहिए वह भी गांधीवादी तरीके से। गांधीवाद की एक रास्ता है। केवल हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया के 16 देश गांधीवादी तरीके से आजाद हुए हैं।

सर्वज्ञानी होने,खुदा होने का भाव खतरनाक

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि सर्वज्ञानी होने,खुदा होने का भाव खतरनाक है। यही बात तीन कृषि कानूनों को लेकर भी है। हमें इस भ्रम से निकलना होगा। हिंदुस्तान की अर्थ‌व्यवस्था को बचाना है तो किसानों की जेब में पैसा डालना होगा। उन्होंने कहा कि हमने किसानों को धान का मूल्य 2500 रुपए दिया। इसके बाद केंद्र ने कहा था कि बोनस दोगे तो चावल नहीं लेंगे। हमने पिछले साल भी धान पर 10 हजार रुपए इनपुट सब्सिडी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानून बनाने के समय टिकैत-कक्का जी से बात कर लेते तो ये नहीं होता। खुदा होने का भ्रम पालना ठीक नहीं है।

सभी वर्गों को साथ लेकर चल रहे हैं सीएम: डाॅ. हिमांशु

इस अवसर पर हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ.हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में किसानों के साथ अन्य वर्गों को साथ लेकर चल रहे हैं। राज्य में किसान समृद्ध हुआ तो उद्योग और व्यापारी भी समृद्ध हुए। कार्यक्रम में हरिभूमि रायपुर के महाप्रबंधक अनिल गहलोत, स्थानीय संपादक धनंजय वर्मा, संपादक समन्वय ब्रह्मवीर सिंह,आईएनएच के ब्यूरो चीफ शैलेष पांडेय, मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व अन्य अतिथियों ने हरिभूमि-आईएनएच के दस कर्मठ साथियों का सम्मान किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल तथा मंचस्थ अतिथियों ने हरिभूमि की रिपोर्टर रुचि वर्मा की पुस्तक इक टुकड़ा इश्क का विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन आईएनएच के सीनियर एंकर हितेश व्यास और सोनल भारद्वाज कौशल ने किया ।


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