सात हजार ट्रकों के पहिए जाम, मजदूर भी 21 दिनों से खाली, विरोध जारी

ट्रांसपोट्ररों की मालभाड़े को लेकर चल रही हड़ताल अब तक जारी है। 21 दिनों से सात हजार से ज्यादा ट्रकों के संचालकों के साथ हजारों मजदूर भी बेरोजगार हो गए हैं। अब तक मालभाड़े को लेकर ट्रांसपोर्टरों और सीमेंट प्लांट के मालिकों के बीच सहमति नहीं बन सकी है। ऐसे में ट्रांसपोर्टर रेलवे रैक को भी रोकने की तैयारी में हैं। चार प्लांट से रेलवे रैक के जरिए दूसरे राज्यों में माल जा रहा है।;

Update: 2021-03-19 06:06 GMT

रायपुर. ट्रांसपोट्ररों की मालभाड़े को लेकर चल रही हड़ताल अब तक जारी है। 21 दिनों से सात हजार से ज्यादा ट्रकों के संचालकों के साथ हजारों मजदूर भी बेरोजगार हो गए हैं। अब तक मालभाड़े को लेकर ट्रांसपोर्टरों और सीमेंट प्लांट के मालिकों के बीच सहमति नहीं बन सकी है। ऐसे में ट्रांसपोर्टर रेलवे रैक को भी रोकने की तैयारी में हैं। चार प्लांट से रेलवे रैक के जरिए दूसरे राज्यों में माल जा रहा है।

प्रदेश के बलौदाबाजार और दुर्ग जिले के दस सीमेंट प्लांट में 26 फरवरी से हड़ताल चल रही है। इसके कारण दस दिनों तक तो बाजार पर असर नहीं पड़ा, लेकिन अब बाजार से भी सीमेंट पूरी तरह से गायब हो गया है। जहां सीमेंट का कारोबार करने वाले सारे डीलर्स और चिल्हर विक्रेता परेशान हो गए हैं, वहीं सीमेंट प्लांट में ट्रकों में माल लोडिंग-अनलोडिंग करने वाले हजारों मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इसी के साथ सभी प्लांट को मिलाकर यहां से रोज करीब सात हजार ट्रकों में जहां माल का आना-जाना होता है।

रैक रोको आंदोलन पर आज होगा मंथन

ट्रक एसोसिएशन के सुखदेव सिंह सिद्धू का कहना है, लगातार प्रयास के बाद भी सीमेंट प्लांट के मालिक उनकी मांगें मानने तैयार नहीं हैं। हमने तो अपनी तरफ से 40 के स्थान पर 25 फीसदी ही मालभाड़ा बढ़ने पर सहमति दे दी है, लेकिन इतना मालभाड़ा भी प्लांट वाले बढ़ाना नहीं चाहते हैं। अब हमारे एसोसिएशन की शुक्रवार को एक बड़ी बैठक होगी, इसमें चार प्लांट रवान, हिरमी, अंबुजा और सेंचुरी सीमेंट से रेलवे रैक से जो माल बाहर के राज्यों में जा रहा है, उसे प्लांट से माल निकलने के बाद हथबंद के पास रेलवे ट्रैक पर रोकने संबंधी फैसला होगा।

कच्चे माल की किल्लत

प्लांट से जहां सीमेंट बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है, वहीं बाहर से आने वाले कच्चे माल और कोयले सहित बारदाने के वाहनों को भी प्लांट के भीतर जाने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में प्लांट में कच्चे माल के साथ कोयले और बारदाने की भी कमी होने लगी है। 

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