चैंप्स योजना में नहीं मिल रही सब्सिडी : किसानों की उम्मीदें सूखी, अफसर कह रहे केंद्र से फंड ही नहीं मिला

सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिलती है। लेकिन किसानों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। पोर्टल शुरू नहीं किए जाने से जहां प्रदेशभर के किसान कृषि यंत्रों की खरीदी के लिए अर्जी नहीं लगा पा रहे हैं, वहीं कृषि विभाग के अफसरों की बात सुनकर किसानों की आंखों में अंधेरा छा गया है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-07-25 05:40 GMT

राहुल शर्मा रायपुर/ दुर्ग। किसानों को कृषि यंत्र देने के लिए चैंप्स (छत्तीसगढ़ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन एंड माइक्रो एरिगेशन मॉनिटरिंग प्रॉसेस), सॉफ्टवेयर की शुरुआत की थी। इसकी मदद से उचित दाम पर कृषि यंत्र मिलते हैं और सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिलती है। लेकिन किसानों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। पोर्टल शुरू नहीं किए जाने से जहां प्रदेशभर के किसान कृषि यंत्रों की खरीदी के लिए अर्जी नहीं लगा पा रहे हैं, वहीं कृषि विभाग के अफसरों की बात सुनकर किसानों की आंखों में अंधेरा छा गया है। अफसरों का कहना है कि उन्हें इस योजना के लिए इस साल टार्गेट नहीं दिया गया है। पहले केंद्र सरकार सभी योजनाओं के लिए अलग- अलग राशि भेजती थी। अब सभी को राष्ट्रीय कृषि योजनाओं केतहत एक साथ लाया गया है। राज्य को मिले फंड की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होती है। पिछली योजना की पूरी राशि खर्च होने पर ही नया टार्गेट दिया जाता है।

मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में पिछले साल 35 हजार से अधिक किसानों को कृषि यंत्रों की सुविधा प्रदान की गई थी। इन किसानों को ड्रिप और प्रिंकलर में कोटेशन राशि 143 करोड़ दो लाख 43 हजार रुपए की लागत से यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें 33 फीसदी केंद्र और राज्य द्वारा 22 फीसदी छूट दी गई थी, लेकिन इस बार चैंप्स (छत्तीसगढ़ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन एंड माइक्रो एरिगेशन मॉनिटरिंग प्रॉसेस) योजना में पोर्टल ही शुरू नहीं किया गया है। ऐसे में 55 फीसदी सब्सिडी वाली ड्रीप और प्रिंकलर पाइप नहीं मिल पा रहा है।

केंद्र से फंड नहीं

चैंप्स योजना का अपर संचालक जीके पीडिया ने बताया कि , चैंप्स केंद्र प्रवर्तित योजना है, इस साल केंद्र से फंड नहीं मिला है। केंद्र सरकार सभी योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्यों के लिए एक साथ लाई है, इस वजह से विलंब हो रहा है। वैसे इसका पोर्टल खुल गया है, आवेदन चल रहा है। जल्द ही राशि जारी होते ही टार्गेट दे दिया जाएगा।

दो साल के 58 करोड़ भी बकाया

चैंप्स योजना के तहत पिछले दो साल की राशि राज्य • शासन द्वारा कंपनी को भुगतान नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार केंद्र द्वारा तैंतीस फीसदी राशि कंपनियों को भुगतान की गई है, लेकिन राज्य द्वारा बाइस फीसदी राशि करीब 58 करोड़ रुपए रोक दी गई है। माना जा रहा है कि इसी कारण कंपनियां भी रुचि नहीं दिखा रही हैं।

केंद्र से नहीं मिली योजना की राशि

हरिभूमि ने राज्य स्तर के अफसरों से इस संबंध में जानकारी जुटाई तो उनका कहना है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत इस साल केंद्र का फंड प्राप्त नहीं हुआ है। केंद्र से राशि नहीं मिलने के कारण इधर राज्य सरकार ने कृषि विभाग को टार्गेट नहीं दिया है। ऐसा राज्य के अफसरों का कहना है।

किसानों के लिए जरूरी

छग किसान कांग्रेस के अध्यक्ष विजय वैष्णव ने बताया है कि, राज्य शासन द्वारा इस साल समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ बीस क्विंटल धान के आलावा गन्ना सहित अन्य फसलें खरीदने की तैयारी है। खेती के लिए किसानों को यंत्रों की बेहद जरूरत है। आग्रह है कि इस योजना से किसानों को लाभान्वित किया जाए।

महंगी दर पर यंत्र खरीदने मजबूर किसान

किसानों का कहना हैं कि कृषि विभाग के अधिकारी टार्गेट नहीं मिलने की बात कह रहे हैं, जबकि इन दिनों खेती-किसानों के लिए ड्रीप और प्रिंकलर पाइप की बेहद जरूरत है। कृषि विभाग द्वारा संचालित शाकंभरी योजना के तहत किसानों को पंप भी उपलब्ध कराया जाता है, जिसके जरिए किसान अपने खेतों में सिंचाई करते हैं। चैंप्स योजना का संचालन बीज निगम द्वारा वर्ष 2017 से किया जा रहा है, लेकिन इस बार राज्य में इस योजना को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस योजना के तहत प्रदेशभर के पैंतीस हजार किसान लाभ लेते हैं। इस बार किसान निजी दुकानों से महंगी दर पर यंत्र खरीदने मजबूर हो गए हैं।

टार्गेट की राह ताक रहे अफसर और कंपनी

वर्ष 2023-24 के लिए राज्य के कृषि महकमा द्वारा प्रदेश के किसी भी जिले में टार्गेट नहीं दिया गया है। टार्गेट नहीं दिए जाने से प्रदेशभर के अफसर संशय में हैं। इधर चैंप्स में पंजीकृत कंपनियों का कहना है कि टार्गेट नहीं मिलने के साथ पोर्टल की शुरुआत नहीं होने से किसान आवेदन नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में किसान विभाग और कंपनियों द्वारा हाथ खड़े किए जाने से हताश हो गए हैं।

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