जगदलपुर। बीजापुर जिले (Bijapur district)के नक्सल प्रभावित (Naxal-affected)संवेदनशील उसूर और भोपालपटनम ब्लाक (Bhopalpatnam block)की शालाओं (schools)में लगभग 30 साल से शिक्षिका के रूप में बच्चों को शिक्षा ?(education) देकर योग्य बनाने की इच्छाशक्ति के साथ शिक्षिका एम. पदमावती कार्यरत है। 23 जून 1993 को उसूर ब्लाक के प्राथमिक शाला पुसगुड़ी में प्रथम नियुक्ति के बाद से वह आज तक नौकरी के 30 साल में दूरस्थ पहुंचविहीन शालाओं में रहकर सभी बच्चों को शिक्षा का ज्ञान देने का काम कर रही है। लगभग 14 साल इस स्कूल में सेवा के दौरान सड़क नहीं होने से नदी, नाले पार कर स्कूल जाना पड़ा। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को अपने वेतन के पैसे से कापी, किताब, पेन, पेंसिल उपलब्ध कराकर उन्होंने पढ़ाई जारी रखने प्रेरित किया।
आज उनके पढ़ाए हुए विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर जज और सफल व्यापारी बनकर क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं। उन्होंने विद्यालय का वातावरण सकारात्मक रखा ताकि बच्चे गरीबी और अभाव के कारण पढ़ाई बीच में न छोड़ पाएं। 2007 से 2009 तक भोपालपटनम शेष ब्लाक के प्राथमिक शाला अर्जुनल्ली, 2009 से 2018 तक माध्यमिक शाला पेद्दामादुर तथा 2018 से माध्यमिक शाला पोषड़पल्ली में प्रधान अध्यापक के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने कभी भी मनचाही शहरी क्षेत्र के स्कूल में पदस्थापना के लिए प्रयास नहीं किया। 30 साल की नौकरी उन्होंने अंदरूनी संवेदनशील इलाके में की।
शैक्षणिक सेवा के लिए होगा सम्मान
बीजापुर जिला शिक्षा अधिकारी बलीराम बघेल ने बताया कि, शिक्षिका एम. पदमावती ने 30 साल की नौकरी में विपरित परिस्थितियों के बावजूद समस्या और अभावग्रस्त इलाके में गरीब बच्चों को पढ़ाकर योग्य बनाने का काम किया। 5 सितंबर को जिला स्तर पर उनकी सेवा के लिए सम्मान किया जाएगा।