नेशनल हाईवे निगम को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार : मांगा जवाब, सड़कों पर आवारा मवेशियो के लिए अब तक क्या किया?

हाईकोर्ट के मुताबिक उन्होंने खुद शहर की सड़कों को घूमकर देखा है और स्थिति खराब पाई है। हाईकोर्ट ने मामले में नेशनल हाईवे, निगम और प्रशासन से जवाब मांगा है कि, उन्होंने इस मुद्दे पर अभी तक क्या किया है और आगे क्या सुझाव है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-07-11 05:46 GMT

बिलासपुर। प्रदेश की सड़कों पर आवारा मवेशियों के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीर मसला माना है। हाईकोर्ट के मुताबिक उन्होंने खुद शहर की सड़कों को घूमकर देखा है और स्थिति खराब पाई है। हाईकोर्ट ने मामले में नेशनल हाईवे, निगम और प्रशासन से जवाब मांगा है कि, उन्होंने इस मुद्दे पर अभी तक क्या किया है और आगे क्या सुझाव है। इसकी पूरी जानकारी कोर्ट में पेश करने कहा गया हैं। इसे निर्देश के साथ ही हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई गुरुवार को तय की है। ध्यान रहे कि इससे पहले भी इसी तरह के एक मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि सड़कों पर नजर आने वाले आवारा मवेशी बेहतर ढंग से संचालित किए जा रहे गौशालाओं में ही रखें जाएं, कहीं और नहीं। सड़क सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रीय राजमार्ग में न घूमने वाले आवारा मवेशियों को नहीं हटाने से हो रहे सड़क हादसों समेत अन्य बिन्दुओं के खिलाफ संजय रजक और राजेश चिकारा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

जनहित याचिका में भी उठा था मुद्दा

एक्स डिफेंस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य द्वारा शहर में सीवेज, सड़कों पर मवेशी समेत अन्य मुद्दों को लेकर 2011 में जनहित याचिका लगाई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन से जवाब मांगा था। इसके बाद नगर निगम ने आवारा मवेशियों को पकड़कर गोकुल नगर शिफ्ट करने मुहिम तो चलाई, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। आज भी लगभग हर सड़क पर आवारा मवेशियों को भटकते देखा जा सकता है। आमतौर पर ऐसे मवेशी रातों में सड़क हादसों के भी शिकार होते हैं।

कुछ दिन अभियान, फिर जस का तस

इसके साथ ही मवेशी मालिकों पर की गई कार्रवाई, शहरी गौठानों की संख्या, कांजी हाउस की संख्या, काउ केचरों की संख्या, कार्यरत कर्मचारियों की संख्या, निकाय सीमा क्षेत्र में डेयरियों की संख्या, एक कांजी हाउस और गौठान में एक वर्ष में आने वाले खर्च, रेडियम पट्टी पहनाए गए मवेशियों की संख्या की जानकारी मांगी थी। हाईकोर्ट को नोटिस के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास दी। विभाग ने नगरीय निकायों से जानकारी मांगी थी। इसमें भी कहा गया कि मवेशियों के कारण ट्रैफिक में समस्या तो हो रही है। इसके बाद अधिकारियों ने माहवार आंकड़े दिखाने के लिए मवेशियों की धरपकड़ भी की थी। हालांकि यह सब कुछ दिन चला और मामला जस का तस हो गया।


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