सफारी में हिरण- चीतलों की संख्या चार सौ के पार : जंगल सफारी के 150 हिरण-चीतल अचानकमार भेजे जाएंगे
रायपुर । जू में रहने वाले हर्बिवोर प्रजाति के वन्यजीव हिरण- चीतलों की उछलकूद से बड़ों के साथ बच्चे भी रोमांचित होते हैं। संख्या बढ़ जाने के बाद ये जंगल में बाघ सहित हिंसक वन्यजीवों के पेट भरने का काम करते हैं। जंगल सफारी में हिरण तथा चीतलों की संख्या चार सौ के पार पहुंच गई है। इसे ध्यान में रखते हुए जंगल सफारी में रह रहे डेढ़ सौ हिरण, चीतलों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़े जाने की तैयारी चल रही है। हिरण अ तथा चीतल को अचानकमार में स छोड़े जाने के लिए सफारी प्रबंधन ने सीजेडए से अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के बाद इन वन्यजीवों को अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में छोड़ा जाएगा।
गौरतलब है, अचानकमार टाइगर रिजर्व में वर्तमान में चार बाघों के होने की पुष्टि वन अफसर कर रहे हैं। ऐसे में बाघ अचानकमार टाइगर रिजर्व से पलायन कर किसी पड़ोसी राज्य के जंगल में न चले जाएं, इसका वन अफसर विशेष तौर पर ध्यान रख रहे हैं। अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए जरूरी पानी के साथ उनके आहार की व्यवस्था करने वन अफसर विशेष ध्यान दे रहे हैं। अचानकमार में इंडियन गौर (बायसन ) के साथ ही नीलगाय भी बहुतायत में हैं। बाघ नीलगाय का आसानी से शिकार तो कर सकता है, लेकिन बायसन का शिकार करने में बाघ को काफी मेहनत लगती है।
पांच माह पूर्व छोड़े गए थे हिरण-चीतल
गौरतलब है कि पांच माह पूर्व फरवरी में जंगल सफारी से सौ के करीब हिरणों के साथ चीतल गुरु घासीदास नेशनल पार्क में छोड़े गए थे। साथ ही 10 से ज्यादा नी लगाय भी छोड़ी गई थीं। सफारी में हिरण तथा चीतलों की संख्या बढ़ने के बाद एक बार फिर से उनके सुरक्षित रहवास केंद्र में छोड़े जाने की तैयारी चल रही है।
वन्यजीवों को कोर एरिया में छोड़ेंगे
वन अफसरों के मुताबिक हिरण तथा को अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया तथा बफर एरिया में छोड़ा जाएगा। जहां बाघों की आवाजाही का ज्यादा मूवमेंट होता है। सामान्य क्षेत्र में छोड़े जाने पर हिरण तथा सांभर को कुत्तों द्वारा मारे जाने के साथ लोगों द्वारा शिकार किए जाने की आशंका बनी रहेगी ।
मांगी हैं अनुमति
जंगल सफारी के डायरेक्टर एम. मरिबिला ने बताया कि, जंगल सफारी में हिरण तथा चीतलों की संख्या चार सौ के पार पहुंच गई है। इसे ध्यान में रखते हुए डेढ़ सौ हिरण तथा चीतलों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। जंगल में छोड़े जाने के लिए सीजेडए से अनुमति मांगी गई है।