झोपड़ी में कैद आत्मनिर्भरता की कहानी : कबाड़ हो रही पौने दो करोड़ की मशीन, खरीदी गई थी बाजार रेट से 3 गुना दर पर

स्वसहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए करीब डेढ़ साल पहले खरीदी गई पाल लाइजर मशीन झोपड़ी में कैद होकर रह गई है। हरिभूमि और आईएनएच की टीम जब अबूझमाड़ पहुंची तो अपनी पड़ताल में पाया कि सवा लाख रुपए की मशीन कहीं झोपड़ियों में कैद हो कर रह गई है तो कहीं खुले आसमान के नीचे कबाड़ में तब्दील हो रही है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2022-09-09 06:06 GMT

मोहम्मद इमरान खान/नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ की स्वसहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए करीब डेढ़ साल पहले खरीदी गई पाल लाइजर मशीन झोपड़ी में कैद होकर रह गई है। हरिभूमि और आईएनएच की टीम जब अबूझमाड़ पहुंची तो अपनी पड़ताल में पाया कि सवा लाख रुपए की मशीन कहीं झोपड़ियों में कैद हो कर रह गई है तो कहीं खुले आसमान के नीचे कबाड़ में तब्दील हो रही है। झोपड़ी में कैद आत्मनिर्भरता की कहानी से सरकार की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठ रहे हैं। डीएमएफटी की राशि से खरीदी कर धान, गेंहू और मसाला पीसने के लिए समूह की महिलाओं को मशीन बांटी गई है। इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने मशीन की खरीदी पर सवालिया निशान लगाकर जिला प्रशासन पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। बरहाल पौने दो करोड़ रुपए की यह मशीन कबाड़ में तब्दील हो चुकी है।

बाजार रेट से 3 गुना दर पर खरीदी गई मशीन

16 जून 2021 को छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप ने स्व सहायता समूह की महिलाओं को यह मशीन बांटी थी। इस दौरान महिलाओं की आत्मनिर्भरता को लेकर बड़े-बड़े कसीदे पढ़े गए थे। मशीन की खरीदी पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। बाजार रेट से 3 गुना दर पर खरीदी किए जाने की बात सामने आ रही है। उद्यानिकी विभाग ने एक मशीन को एक लाख दस हजार में खरीदा है, जबकि यह मशीन बाजार में 40 हजार रुपए में आसानी से उपलब्ध हो रहा है।

मशीन तो बांट दी गई, लेकिन उसे चलाने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं कराया

स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि जिला प्रशासन की ओर से मशीन तो बांट दी गई है, लेकिन उसे चलाने के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस वजह से मशीन जस का तस अब तक पड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि 14 माह में एक बार भी अधिकारी मशीन चालू करने के लिए नहीं आए हैं। इस कारण मशीन को समूह की महिलाएं चालू नहीं कर पाई है। समूह की महिलाओं ने जिला प्रशासन से उनकी समस्या को दूर करने के लिए कारगर कदम उठाए जाने की मांग की गई है। जिला प्रशासन की उदासीनता को देखकर अब यह आसानी से कहा जा सकता है कि अबुझमाड़िया महिलाओं को अब कैसे आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इधर विभागीय अफसर जांच कराने की बात कह रहे हैं।

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