Raipur News: बाघिन को मिला अचानकमार का जंगल
हरिभूमि रायपुर समाचार: रायपुर एक माह पूर्व सूरजपुर वनमंडल से रेस्क्यू की गई बाघिन को शनिवार तड़के अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया। बाघिन को छोड़ने के पहले मेडिकल परीक्षण किया गया। साथ ही रेडियो कॉलर लगाया गया। बाघिन को तड़के चार बजे अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया।;
हरिभूमि रायपुर समाचार: रायपुर एक माह पूर्व सूरजपुर वनमंडल से रेस्क्यू की गई बाघिन को शनिवार तड़के अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया। बाघिन को छोड़ने के पहले मेडिकल परीक्षण किया गया। साथ ही रेडियो कॉलर लगाया गया। बाघिन को तड़के चार बजे अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया। बाघिन को छोड़ने के पूर्व चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन सुधीर अग्रवाल के साथ एनटीसीए से अनुमति ली गई। इसके बाद एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर विष्णु राज नायर के मार्गदर्शन में वन अफसर तथा कर्मियों की टीम बाघिन को रिलीज करने गई।
गौरतलब है, एक माह पूर्व सूरजपुर वनमंडल के ओड़गी विकासखंड के एक गांव से सटे जंगल में बाघिन ने लकड़ी बीनने गए तीन लोगों पर हमला कर दिया था। बाघिन के हमले से एक ग्रामीण की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि अपने बचाव में बाघिन पर टंगिया से हमला करने वाला व्यक्ति बाघिन के हमले से बुरी तरह से घायल हो गया था, जिनकी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। घटना के बाद टंगिए से हुए हमले में गंभीर घायल बाघिन को उपचार के लिए जंगल सफारी लाया गया था। वहां अफसरों की निगरानी में उसका उपचार किया गया।
रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ा गया
बाघिन को जंगल में छोड़ने के पहले रेडियो कॉलर लगाया गया। उल्लेखनीय है कि राज्य में हाथी के बाद बाघिन एकमात्र पहली वन्यजीव है, जिसे रेडियो कॉलर लगाकर जंगल में छोड़ा गया। बाघिन को जंगल में छोड़ने के पूर्व एनटीसीए ने वन अफसरों को रेडियो कॉलर लगाकर छोड़े जाने के लिए निर्देश दिए थे।
घाव भरने में लग गया एक महीना
जंगल सफारी में बाघिन का उपचार डॉ. राकेश वर्मा तथा पवन कुमार चंदन की देखरेख में किया जा रहा था। चिकित्सकों के मुताबिक बाघिन के सिर तथा अन्य जगहों पर आठ से ज्यादा बार टंगिए से वार किए गए थे। इससे बाघिन के सिर में काफी गंभीर जख्म आए थे। जख्म गंभीर होने की वजह से बाघिन के घाव भरने में एक महीना लग गया।
इंसानी साये से दूर रखा गया
बाघिन इंसानों के संपर्क में न आए, इस बात को ध्यान में रखते हुए उसे अलग से आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। बाघिन के करीब केवल केयर टेकर खाना देने के लिए तथा उपचार करने वाले चिकित्सक जाते थे। बाघिन के इंसानी संपर्क में आने से वह मानव को अपना हितैषी समझ लेती। इस वजह से भोजन की तलाश में बाघिन के आबादी बस्ती में दोबारा घुसने का खतरा बढ़ सकता था।
रिलीज करते समय डॉक्टरों की टीम तैनात
बाघिन को जंगल में छोड़े जाने के पूर्व पिंजरा में एक बार पुन: स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। स्वास्थ्य परीक्षण वन्यजीव चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा के नेतृत्व में डॉ. पवन कुमार चंदन, अंजोरा स्थित कामधेनु विश्वविद्यालय के चिकित्सक डॉ. जसमीत के साथ डॉ. सोनम मिश्रा मौके पर उपस्थित रहे। बाघिन को छोड़ने के पूर्व पल्स की जांच की गई। साथ ही अन्य स्वास्थ्य परीक्षण किए गए। बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद जंगल में छोड़ा गया।
बाघिन को पूरे दिन ट्रैकर ट्रैक करते रहे
बाघिन के मूवमेंट की 24 घंटे निगरानी करने तीन ट्रैकर टीम बनाई गई है। रेडियो कॉलर से मिले लोकेशन के आधार पर वनकर्मियों की टीम बाघिन के मूवमेंट को ट्रैक कर रही हैं। वन अफसरों के मुताबिक बाघिन वर्तमान में घने जंगल में विचरण कर रही है। अफसरों के मुताबिक नया क्षेत्र होने की वजह से बाघिन को सामान्य स्थिति में आने में कुछ दिन लग सकते हैं।
एटीआर में दो बाघिन शिफ्ट करने हैं
राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से अचानकमार टाइगर रिजर्व में दो बाघिन लाकर छोड़ने की प्लानिंग वन अफसरों ने पूर्व में की है। प्लानिंग के मुताबिक एक बाघिन शिफ्ट हो चुकी है। अफसर जल्द ही अचानकमार में दूसरी बाघिन लाकर छोड़े जाने की बात कह रहे हैं। अफसरों ने मध्यप्रदेश के कान्हा से बाघिन लाकर छोड़ने के लिए प्लानिंग की है।