अनूठा प्रदर्शन : जेल की अव्यवस्था के खिलाफ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कहा- कैदियों को नहीं देते भरपेट खाना, घरों से आया सामान भी हड़प लेते हैं...
बंदियों को पेट भर खाना नहीं दिया जा रहा है। साथ ही कैदियों के घरों से आए खाने-पीने के सामानों में घपला किया जा रहा है और परिजनों से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर 200 से ज्यादा जेलशुदा और ग्रामीणों ने क्या किया पढ़िए पूरी खबर...;
गणेश मिश्रा/बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में जेल प्रशासन की मनमानी का मामला सामने आया है। यहां बंदियों को पेट भर खाना नहीं दिया जा रहा है। साथ ही कैदियों के घरों से आए खाने-पीने के सामानों में घपला किया जा रहा है और परिजनों से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर 200 से ज्यादा जेल से छूट चुके लोगों और ग्रामीणों ने बुधवार को रैली निकालकर धरना दिया। भैरमगढ़ एरिया जेल रिहाई मंच के बैनर तले यह रैली धरने का आयोजन किया गया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को भैरमगढ़ आने से रोका
दरअसल आज दर्जनभर गांवों के 200 से ज्यादा जेलशुदा लोगों के साथ ग्रामीणों ने भैरमगढ़ पोन्दुम इलाके में रैली की। रैली में केशकुतुल, पोमरा, हल्लुर और पिटेतुंगाली से लोग जुटे थे। सरपंच और जनप्रतिनिधियों ने भी ग्रामीणों की मांगों का समर्थन किया है। अपनी मांगों को लेकर लोग भैरमगढ़ आना चाहते थे, लेकिन सुरक्षागत कारणों से पुलिस ने इन्हें 5 किमी दूर रोक दिया। ग्रामीण पोन्दुम में ही धरने पर बैठ गए।
घरों से आया खाना मिलता है आधा-अधूरा
ग्रामीणों का कहना है कि जेलों में खाने-पीने, कपड़े और जेलों में बंद लोगों से मिलने में काफी परेशानियां होती हैं। बहुत दूर से जेलों में बंद अपने परिजनों से मिलने जाते हैं, तो उन्हें मिलने नहीं दिया जाता। इतना ही नहीं जो खाना ले जाया जाता है वो भी आधा-अधूरा ही मिल पाता है।
ग्रामीणों की मांग
प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि जातिनदास शहदत के 93 वर्षगाँठ को 13 से 19 सितम्बर तक गांव-कस्बों में मनाया जाएगा। इसके चलते राजनीतिक जेल बंदियों को बिना शर्त रिहाई किया जाए। समाजिक-राजनीतिक संघर्ष में आरेस्ट बंदियों को रिहा करें। साथ ही मूलवासियों पर हमले करना बंद करें। महिलाओं पर आत्याचार, हत्या के खिलाफ संघर्ष करें और आदिवासियों पर ड्रोन हमला बन्द करें। देखिए वीडियो-