Waterfall : हाथियों की धमक का असर, सैर-सपाटे पर चिंगरापगार वाटरफॉल में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक
पिछले एक सप्ताह से तीन हाथियों (elephants)का दल मैदानी क्षेत्र से सटे वनों में विचरण कर रहा है। हाथी से किसी प्रकार का नुकसान से बचाने के लिए हाथी मित्र दल हाथियों की मॉनिटरिंग (monitoring )कर रहा है। चिंगरपगार वाटरफॉल (ChingarpagarWaterfall )को आम पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद करने की पुष्टि गरियाबंद डीएफओ मनीवासगन (Gariaband DFO Manivasagan)ने की है ।पढ़िए पूरी खबर ...;
रायपुर। राजधानी से सटे गरियाबंद जिला (Gariaband district )में एक टस्कर हाथी (tusker elephant )के साथ दो अन्य हाथियों (elephant )की आमद के बाद पिकनिक स्पॉट के रूप में चर्चित चिंगरपगार वाटरफॉल (Chingarpagar Waterfall )को आम पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। इस क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से तीन हाथियों का दल मैदानी क्षेत्र से सटे वनों में विचरण कर रहा है। हाथी से किसी प्रकार का नुकसान से बचाने के लिए हाथी मित्र दल हाथियों की मॉनिटरिंग कर रहा है।चिंगरपगार वाटरफॉल को आम पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद करने की पुष्टि गरियाबंद डीएफओ मनीवासगन (Gariaband DFO Manivasagan)ने की है।
राजधानी से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चिंगरापगार
गौरतलब है कि, रायपुर से गरियाबंद (Gariaband )मुख्य मार्ग पर करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर पहले चिंगरापगार वाटरफॉल (waterfall flows )है। इस वाटरफॉल में 110 फीट ऊंचाई से झरना बहता है। घने जंगल के बीच होने की वजह से वाटरफॉल पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित हो गया है। इस वाटरफॉल में रायपुर सहित आसपास के सैलानी बड़ी संख्या में पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। आसपास के क्षेत्र में तीनों हाथियों की मौजूदगी की वजह से सुरक्षा के लिहाज से वाटरफॉल में आम लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। लोग वाटरफॉल के करीब न पहंच पाएं, इसके लिए वन अफसरों ने वाटरफॉल के आसपास वनकर्मी तैनात कर दिए हैं। तीन किलोमीटर पथरीला रास्ता पार कर जाना पड़ता है।
चिंगरपगार वाटरफॉल जाने में खतरा ज्यादा
चिंगरापगार वाटरफॉल (Chingrapgar waterfall flows)जाने के लिए तीन किलोमीटर ऊबड़खाबड़ पथरीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है। बारिश के दिनों पथरीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में पानी की वजह से पत्थरों में काई जम जाती है, जिसकी वजह से रास्ता काफी फिसलन भरा हो जाता है। ऐसे में किसी भी प्रकार की अनहोनी होने की स्थिति में पर्यटक वहां से तत्काल भाग नहीं सकते। हाथियों की आमद होने की वजह से चिंगरपगार वाटरफॉल जाने में खतरा ज्यादा है।
टस्कर, बुल हाथी बनकर नया दल बनाने विचरण करता है
हाथी परिवार में शामिल नर हाथी जैसे ही 14-15 साल की उम्र में पहुंचता है, दल में शामिल मादा हाथी उस किशोर हाथी को दल से निकाल देती है, जिसे बुल हाथी कहा जाता है। इसके बाद दल से निकाला गया किशोर हाथी नया दल बनाने जंगल के साथ मैदानी इलाकों में भोजन और पानी की तलाश में भटकते हुए पहुंच जाता है। नए दल की तलाश में निकले बुल हाथी के साथ कई बार अन्य क्षेत्र के नर हाथी जुड़ जाते हैं अथवा वह नर हाथी अकेले जंगल में विचरण करते हुए किसी नए दल में शामिल हो जाता है।
हाथी मित्र दल लोगों को अलर्ट कर रहा
अफसर के अनुसार हाथी मित्र दल तीनों हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रहा है। हाथी किसी एक क्षेत्र में पहुंचने के बाद दिनभर आराम करते हैं। दिन ढलने के बाद हाथियों का दल आगे के लिए निकलता है। हाथी एक रात में 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं। ऐसे में हाथी मित्र दल जिस जगह पर हाथियों का मूवमेंट रहता है, उस क्षेत्र के 15 से 20 किलोमीटर के रेंज में जो गांव शामिल रहते हैं, उन गांव के लोगों को हाथियों की आमद की जानकारी देते हुए सतर्क रहने मोबाइल तथा अन्य माध्यम से जानकारी साझा करता है।