जंगली कौन? : देखिए इन वीडियोज को... और आप खुद ही तय कीजिए... कौन जंगली... भालू... या फिर...

दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि आज इस गांव के लोगों के पास शायद कोई काम नहीं है करने को। तभी तो पूरा गांव एकत्र हो गया भालू को परेशान करने के लिए। लोग उसे घंटों तक इधर-उधर दौड़ाकर इतना थका डालते हैं कि उसमें अब चलने तक की भी ऊर्जा नहीं बचती। फिर क्या हुआ...पढ़िए...;

Update: 2022-03-12 07:25 GMT

बलरामपुर। ...जी नहीं, इस गांव में कोई मदारी नहीं आया भालू लेकर.. बल्कि एक जंगली भालू ही भटककर 'इंसानों के जंगल' में आ फंसा है। ऊपर वीडियो में आपने देखा होगा कैसे इंसानों का बर्ताव जंगली जानवरों से भी बदतर हो चला है। दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि आज इस गांव के लोगों के पास शायद कोई काम नहीं है करने को। तभी तो पूरा गांव एकत्र हो गया भालू को परेशान करने के लिए। लोग उसे घंटों तक इधर-उधर दौड़ाकर इतना थका डालते हैं कि उसमें अब चलने तक की भी ऊर्जा नहीं बचती। तब जंगली जानवरों को पकड़ने में 'एक्सपर्ट' वन विभाग के लोग पहुंचते हैं और सैकड़ों ग्रामीणों की मदद से थक कर चकनाचूर हो चुके भालू को पकड़कर उसके चारों पैर और मुंह को जकड़कर बांधते हैं, फिर इस तरह से लटकाकर ले जाते हैं मानो वह जिंदा नहीं बल्कि भालू की लाश हो। इतनी बेरहमी तो लाश पर भी करते हाथ कांप जाए। ये दृश्य है छत्तीसगढ़ के सबसे उत्तरी छोर पर बसे बलरामपुर जिले के चांदो रेंज में बसे गांव जावाखाड़ की। हालांकि हमारे संवाददाता ने लिखा है कि भालू ने ग्रामीणों को पांच घंटे तक परेशान किया। लेकिन जो दृश्य मौजूद हैं, उनसे तो यही लगता है कि ग्रामीणों ने पांच घंटे तक भालू को परेशान किया है। और फिर जब वह बेदम हो गया तो बड़े ही शान से उसे पकड़कर वन अफसरों को 'भेंट' कर रहे हैं।












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