हाईकोर्ट ने EVM का इस्तेमाल बंद करने वाली याचिका को किया खारिज, याचिकाकर्ता पर लगाया इतने का जुर्माना

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता (सुकिन) ने ईवीएम के कामकाज पर ठोस रूप से कुछ भी तर्क नहीं दिये। हमें याचिका पर सुनवाई करने का कोई कारण नहीं दिखता। यह कहा गया कि याचिका चार दस्तावेजों पर आधारित थी, जिनमें से एक कोई खबर थी और अन्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसके प्रतिवेदन एवं याचिका से संबंधित थे, और सुकिन को खुद ईवीएम के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।;

Update: 2021-08-03 10:38 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल बंद करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। वहीं इस याचिका (Petition) में कहा गया था कि देश में होने वाले सभी चुनावों में फिर से बैलट पेपर (Ballot Paper) का प्रयोग करने का निर्वाचन आयोग (Election Commission) को निर्देश देने का अनुरोध किया जाए। जिस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए मंगलवार को याचिकाकर्ता (Petitioner) पर 10 हजार रुपये का जुर्माना (Fined) लगाया।

याचिकाकर्ता का पीआईएल अफवाहों और निराधार आरोपों एवं अनुमानों पर आधारित

हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि वकील सी आर जया सुकिन की याचिका प्रचार हित याचिका (पीआईएल) है जो अफवाहों और निराधार आरोपों एवं अनुमानों पर आधारित है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता (सुकिन) ने ईवीएम के कामकाज पर ठोस रूप से कुछ भी तर्क नहीं दिये। हमें याचिका पर सुनवाई करने का कोई कारण नहीं दिखता। यह कहा गया कि याचिका चार दस्तावेजों पर आधारित थी, जिनमें से एक कोई खबर थी और अन्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसके प्रतिवेदन एवं याचिका से संबंधित थे, और सुकिन को खुद ईवीएम के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी सलाह

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने खबर पढ़ी और ईवीएम और उसके काम-काज को देखे बिना याचिका दाखिल कर दी। जिसे निर्वाचन आयोग के साथ-साथ संसद की भी स्वीकृति प्राप्त है। अदालत ने कहा कि सुकिन शोध करने और उचित तर्कों के साथ नई याचिका दाखिल कर सकते हैं। अदालत ने आदेश दिया कि याचिका 10 हजार रुपये के अर्थदंड के साथ खारिज की जाती है जिसे चार हफ्ते के अंदर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कराना होगा। निर्वाचन आयोग की तरफ से पेश अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि देश की कई अदालतें पहले ही इसपर गौर कर चुकी हैं और मुद्दे पर फैसला दे चुकी हैं।

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