Quarantine Center में एक ही नल, जिसमें निकलता है शौच का पानी, मरीज उसी में धोते कपड़े व बर्तन

स्वास्थ्य विभाग (health Department) अपने अस्थाई कोविड केयर सेंटर (Covid Care Center) में सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए खुद गंभीर नहीं है। जिससे कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए बनाए गए कोविड केयर सेंटरों में संक्रमण कम होने की बजाय बढ़ने का खौफ बना हुआ है।;

Update: 2020-07-05 15:54 GMT

हरिभूमि न्यूज, रेवाड़ी।

गर्ल्स स्कूल खरकड़ा में बना कॉमन टायलेट (Common toilet) और उसमें शौच व स्नान के लिए एक नल से बहता पानी। यहां रहने वाले कोविड-19 मरीजों के कपड़े साफ करने का पानी भी इसी नल से निकलता है। अपने कमरों व आसपास की खुद सफाई कर कूड़े को एक पॉलीथिन (Polyethylene) में पैक कर निर्धारित प्वाइंट तक पहुंचाना पड़ता है। जहां से वॉल्टियर आकर कूड़े को उठाकर ले जाते हैं।

दो वक्त का खाना मरीजों के लिए निर्धारित की गई बाउंड्री के पास छोड़ दिया जाता है, जहां से वहां रहने वालों को स्वयं उठाकर लेकर आना पड़ता है। दो कमरों के साथ बिजली से पानी गर्म करने की एक केटली है तथा इच्छा होने पर केटली में मरीजों को मिल्क पाउडर से खुद चाय बनाकर पीनी पड़ती है। कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए कोविड केयर सेंटर में दो वक्त की रोटी, चाय के लिए सूखे मिल्ट पाउडर के पैकेट और सिर छुपाने के लिए छत तो सरकारी है, परंतु बाकी सभी कार्य खुद करने पड़ते हैं।

कोरोना से बचने के लिए दूसरों को स्वच्छता का संदेश देने वाला जिला स्वास्थ्य विभाग अपने अस्थाई कोविड केयर सेंटर में सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए खुद गंभीर नहीं है। जिससे कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए बनाए गए कोविड केयर सेंटरों में संक्रमण कम होने की बजाय बढ़ने का खौफ बना हुआ है। जी हां फिलहाल खरखड़ा गर्ल्स स्कूल में बने कोविड केयर सेंटर की वास्तविकता यही है।

कोरोना से निपटने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर प्रशासन ने जिले में अस्थाई क्वारटीन सेंटर बनाए हुए हैं। खरखड़ा गर्ल्स स्कूल में बने कोविड केयर सेंटर में फिलहाल करीब 60 कोरोना मरीज है। स्कूल में बने कॉमन टॉयलेट में अलग-अलग चार से छह बाथरूम बने हुए हैं। यहां रहने वाले सभी कोविड मरीजों को फ्रैश होने से स्नान व कपड़े धोने तक इन्हीं पर निर्भर रहना पड़ता है।

बाथरूम में लगी एक ही टोंटी (नल) से मरीजों के लिए शोच, स्नान व कपड़े धोने का पानी निकलता है। मरीजों को चाय बनाने और पानी गर्म करने के लिए एक ही केटली का प्रयोग करने के अलावा सफाई भी खुद ही करनी पड़ती है तथा इसका कोई अफसोस भी नहीं है परंतु टॉयलेट व स्नान तथा कपड़े धोने के लिए ही टोंटी से पानी लेने से संक्रमण बढ़ने का खौफ स्पष्ट रूप से वहां रह रहे मरीजों के चेहरों पर देखा जा सकता है।

सेनिटाइज की भी नहीं है व्यवस्था

कोविड सेंटर में रह रहे मरीजों का कहना है कि मरीजों के अलावा कोविड सेंटर में बाहर से कोई नहीं आता। जहां मरीजों को रखा जा रहा है, वहां हमारे रहते हुए कोई सेनिटाइज भी हुआ है। फोन करने पर डॉक्टर वॉल्टियर्स के हाथों खाने के लिए लगी टेबल पर दवाई रखकर चले जाते है, जिसे मरीज को खुद उठाकर लाना होता है। दो वक्त का खाना भी इसी प्रकार मिलता है। पैकेट में मिलने वाले मिल्क पाउडर से चाय भी खुद बनानी पड़ती है।


Tags: