भ्रष्टाचार के आरोपों में फसे अंबाला के नायब तहसीलदार मुश्किलें फिर बढ़ी

पहले पांच लाख के भ्रष्टाचार में फंसे, अब ड्यूटी से गैरहाजिर होने पर कार्रवाई, अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री करने पर भी चार्जशीट हो चुके हैं बोधराज।;

Update: 2021-07-07 07:27 GMT

हरिभूमि न्यूज. अंबाला

भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे अंबाला कैंट के नायब तहसीलदार बोधराज की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। पांच लाख रुपये की घूस मांगने के आरोप में अभी उनकी अग्रिम जमानत याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है। अब कोरोना काल में ड्यूटी से गैरहाजिर रहने की वजह से राज्य सरकार ने उसके खिलाफ कार्रवाई की है। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में यह मामला सामने आया है। पूर्व पार्षद एवं कांग्रेसी नेता ओंकारनाथी ने ऐसे लापरवाह अधिकारी के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।

अवकाश लिए बिना रहे गैरहाजिर

मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर पूरे चरम पर थी। कोरोना के बढ़ते मरीजों की वजह से प्रशासन भी हरकत में था। मगर कैंट तहसील के नायब तहसीलदार बोधराज ड्यूटी में लापरवाही बरतते रहे। बोधराज तबीयत खराब होने का हवाला देकर 30 मार्च 2020 से लेकर एक अप्रैल तक अवकाश पर रहे। मगर इसके बाद बिना किसी सूचना के वे ड्यूटी से गैरहाजिर रहे। 9 अप्रैल 2020 तक उन्होंने ऑफिस में अवकाश को लेकर कोई सूचना नहीं दी। कमश्निर ऑफिस की ओर से सरकार को भेजे गए लेटर में बोधराज पर ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए गए। साथ में यह भी कहा गया कि सरकारी ड्यूटी में यह अधिकारी कोई सहयोग नहीं करता। इसी आधार पर बोधराज के खिलाफ हरियाणा सिविल सेवा के नियम-8 के तहत अनुशासनिक कार्रवाई की गई है।

सेक्शन-7 के तहत भी होगी चुकी है कार्रवाई

नायब तहसीलदार बोधराज के खिलाफ हरियाणा सिविल सेवा के सेक्शन-7 के तहत भी सरकार कार्रवाई कर चुकी हैं। दरअसल उन पर अवैध कॉलोनियों में प्लाटों की रजस्ट्रिी करने का भी आरोप है। जांच में ये आरोप सामने आ चुके हैं। इसी आधार पर उनके खिलाफ यह कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी। एसडीएम ने खुद बोधराज पर लगे आरोपों की जांच की थी। जांच में पुख्ता सबूत पाए गए थे।

पूर्व पार्षद से मांगे थे पांच लाख रुपये

नायब तहसीलदार बोधराज बड़ी मुश्किल में तब फंसे थे जब पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस के पूर्व पार्षद ओंकारनाथी से एक रजस्ट्रिी की एवज में पांच लाख रुपये मांगें थे। नाथी ने इसकी एवज में एक लाख रुपये देने की भी बात कही थी। इसके बाद नाथी की ओर से गृहमंत्री अनिल विज को एक शिकायत देकर पूरे मामले से अवगत करवाया गया। विज ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नायब तहसीलदार के खिलाफ पुलिस को भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने के आदेश दिए थे।

केस दर्ज होने के बाद ही बोधराज गिरफ्तारी के डर से अंडरग्राउंड हो गया। सेशन कोर्ट ने भी उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में उसकी अग्रिम याचिका सुनवाई के लंबित पड़ी है। उधर परिवादी ओंकारनाथी ने अब ऐसे अधिकारी के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि नायब तहसीलदार बोधराज सरकारी सेवा में रहने लायक नहीं है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होनी चाहिए ताकि जनता में स्पष्ट संदेश जाए।

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