तालाब में मिला रातभर से लापता बच्चे का शव, इकलौता बेटा था 10 वर्षीय मोहित

मोहित रविवार रात को करीब आठ बजे मोहल्ले में खेलकर वापिस आया था और अपनी मां को ये कहकर गया था कि वो अभी वापिस आ जाएगा। सुबह उसका शव गांव के तालाब में तैरता मिला।;

Update: 2022-02-07 14:11 GMT

हरिभूमि न्यूज  : पूंडरी ( कैथल )

गांव फतेहपुर में सोमवार को प्राचीन हनुमान मंदिर के पीछे वाले तालाब में एक 10 वर्षीय बच्चे की लाश मिलने से सनसनी फैल गई। बच्चा रविवार रात से अपने घर से लापता था और घर वाले रात भर बच्चे की खोज में लगे हुए थे। सुबह मोहल्ले वाले लोग बच्चे की खोज करते हुए मंदिर के पास वाले नलकूप की ओर गए तो उन्हें बच्चे का एक जूता दिखाई दिया। उसके बाद सभी लोग तलाश में लगे और एक युवक ने मोहित पुत्र मोहनलाल की लाश तालाब के किनारे पर देखी और पुलिस को सूचना दी।

सूचना मिलने पर थाना प्रभारी शिव कुमार और पुलिस की अन्य टीमें मौके पर पहुंची। थोड़ी देर बाद पुलिस कप्तान लोकेंद्र सिंह, डीएसपी रविंद्र सांगवान व सीआईए की टीमें भी मौके पर पहुंची। फिलहाल पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।

रात करीब आठ बजे घर पर आया था मोहित

बच्चे के पिता के अनुसार मोहित रविवार रात को करीब आठ बजे मोहल्ले में खेलकर वापिस आया था और अपनी मां को ये कहकर गया था कि वो अभी वापिस आ जाएगा। फतेहपुर के एक निजी स्कूल में कक्षा दूसरी में पढ़ने वाला मोहित जब काफी देर तक भी वो वापिस नहीं लोटा तो घर वालों की चिंता होने लगी और उन्होंने मोहित की तलाश शुरू की। रात तक गांव फतेहपुर के सभी व्हाट्सप ग्रुपों में बच्चे के गुम होने की सूचना वायरल होने लगी।

बेटे को याद करके बेहोश हो रही मां

मोहित की मां राखी उस पल को बार-बार याद कर बेहोश हो जाती है कि जब मोहित रविवार की शाम लगभग 8.30 बजे खाना खाकर ये बोलकर गया था कि मैं घर के पास ही खेलने जाता हूं। उसके दोबारा वो तो लौटकर नहीं आया। देर रात तक नहीं आया तो अनहोनी की चिंता सताने लगी और आसपास में ढूढ़ना भी शुरू किया वो तो नहीं आया सुबह उसकी मौत की खबर जरूर आ गई। मां अपने इकलौते लाल को याद कर बेशुद हो रही है। रोते-रोते आंखों का पानी भी सुख गया।

बहन बोली - किसकी कलाई पर राखी बाधूंगी

इकलौते भाई के खो देने का गम बड़ी बहन 12 वर्षीय महिमा को भी सत्ता रहा है। चीख मार मारकर जब कहती है कि अब मैं किसकी कलाई पर राखी बाधूंगी तो पास खड़े लोग भी आंसू नहीं रोक पाते। पिता मोहनलाल एक टक नजरों से लोगों को देख रहा था और निशब्द चुपचाप बैठा था।

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