फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वाले प्रिंसिपल को 20 साल बाद नौकरी से किया बर्खास्त

प्रिंसीपल ने करीब 20 साल पहले भिवानी के सरकारी अस्पताल से बने विकलांग प्रमाण पत्र का प्रयोग कर नौकरी हासिल की थी जो बाद में शिकायत मिलने पर मामला उजागर होने पर उन्हें अब बर्खास्त किया गया है।;

Update: 2022-12-29 15:18 GMT

बाढड़ा ( चरखी दादरी ) : फर्जी विकलांग प्रमाण के जरिए शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले गांव काकड़ौली हुक्मी के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल को शिक्षा विभाग ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है। प्रिंसीपल ने करीब 20 साल पहले भिवानी के सरकारी अस्पताल से बने विकलांग प्रमाण पत्र का प्रयोग कर नौकरी हासिल की थी जो बाद में शिकायत मिलने पर मामला उजागर होने पर उन्हें अब बर्खास्त किया गया है।

कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय काकड़ौली हुक्मी के प्रिंसीपल द्वारका निवासी राजमल दिसंबर 2002 में विकलांग कोटे से हरियाणा शिक्षा विभाग में मुख्या अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए थे। उन्होंने अपनी नियुक्ति के समय अक्टूबर 1999 में भिवानी के सरकारी अस्पताल द्वारा जारी किया गया फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र विभाग को पेश किया था जबकि वह किसी प्रकार की विकलांगता नहीं रखता। इस संबंध में गांव द्वारका निवासी कृष्ण कुमार द्वारा सिविल अस्पताल भिवानी से मांगी गई सूचना से जानकारी मिली की राजमल द्वारा लगाया गया विकलांगता प्रमाण पत्र किसी अन्य व्यक्ति के नाम ये जारी हुआ है। जिसके बाद मामले में शिकायत होने पर सिविल अस्पताल भिवानी द्वारा विकलांग बोर्ड से राजमल का दोबारा मैडिकल करवाया गया जिसमें वह किसी प्रकार से विकलांग नहीं पाया गया।

उसके बाद रोहतक पीजीआई में भी उसका मेडिकल करवाया गया लेकिन वह उसमें भी विकलांग नहीं पाया गया। शिकायतकर्ता द्वारा इसकी शिकायत लोकायुक्त हरियाणा के सम्मुख दायर की गई थी जिसमें शिक्षा विभाग हरियाणा ने मामले की प्राथमिक जांच पड़ताल करवाई गई जिसमें फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी हासिल करने के आरोप सिद्ध हुए। उसके बाद मामले की नियमित जांच हुई और उसमें भी फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने के आरोप सिद्ध हुए जिसके बाद अब अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा विभाग हरियाणा के आदेश पर राजमल की सेवाएं बर्खास्त कर दी गई हैं।

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