CWG 2022 : पैरा पावर लिफ्टर सुधीर ने दिव्यांगता के पहाड़ को बौना साबित कर दिया, सोनीपत में जश्न का माहौल, घर पर बधाई देने वालों का लगा तांता
पैरा पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनने का रिकार्ड भी सुधीर ने बनाया है। सुधीर के इतिहास रचने पर उसके गांव लाठ में जश्न का माहौल है। सुबह से ही उनकी मां सुमित्रा और अन्य स्वजन को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।;
हरिभूमि न्यूज : सोनीपत
सोनीपत जिले के गांव लाठ के सुधीर ने देश को कामनवेल्थ में पहला पैरा पावर लिफ्टिंग का स्वर्ण पदक दिलवाया है। वैश्विक पटल पर छाने वाले इस खिलाड़ी ने दिव्यांगता को बौना साबित किया है। पैरा पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनने का रिकार्ड भी सुधीर ने बनाया है। सुधीर के इतिहास रचने पर उसके गांव लाठ में जश्न का माहौल है। सुबह से ही उनकी मां सुमित्रा और अन्य स्वजन को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। लगातार सात बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाले सुधीर ने 2018 में इंडोनेशिया में एशियन पैरा गेम्स में भी कांस्य पदक जीता था। सुधीर के पिता राजबीर सीआईएसएफ में थे, 2018 में उनका हृदयाघात के कारण निधन हो गया था। उसके बाद सुधीर को उसकी मां सुमित्रा और भाई शक्ति ने आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। परिवार करीब पांच एकड़ की खेती करता है।
सुधीर जब तीन साल के थे तो उनको बुखार हुआ था। तब उपचार के दौरान इंजेक्शन लगा था और उसके बाद उनके पांव का पूरा विकास नहीं हो पाया। पिता राजबीर और मां सुमित्रा ने अपने लाडले का कभी मनोबल कमजोर नहीं हुआ और हमेशा जीवन में मेहनत करने और आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। सुधीर ने गांव में 12वीं तक पढ़ाई की। करीब नौ साल पहले गांव में ही एक सामान्य जिम में जाना शुरू किया। वहां पैरा पावर लिफ्टिंग के लिए तैयारी की। इसके बाद जिला और राज्य स्तर पर पदक जीते तो उनके सपनों को पंख लगते चले गए।
लगातार सात साल जीते स्वर्ण
भाई शक्ति सिंह बताते हैं कि सुधीर ने लगातार सात बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीते। सुधीर ने 2018 में इंडोनेशिया में एशियन पैरा गेम्स में कांस्य पदक जीता। बर्मिंघम में कामनवेल्थ गेम्स में पैरा पावर लिफ्टर सुधीर ने स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास दिया। वे कामनवेल्थ (राष्ट्रमंडल) खेलों में पावर लिफ्टिंग में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। सुधीर ने पुरुषों में हेवीवेट में पहले प्रयास में 208 किलोग्राम, दूसरे प्रयास में 212 किलोग्राम वजन उठाया। तीसरे प्रयास में 217 किलोग्राम वजन उठा कर नया रिकार्ड बनाते हुए इतिहास रच दिया। वे 134.5 अंक लेकर विजेता बने और स्वर्ण पदक जीता।
बहुत खुश हैं स्वर्ण पदक विजेता की मां
सुमित्रा बेटे के पदक जीतने से बेहद खुश हैं। सुमित्रा बताती हैं कि उसके बेटे ने गांव से ही खेलना शुरू किया था। पहले जिला, उसके बाद प्रदेश और फिर देश तक पहुंचा। सहज-सहज मेरा लाल दुनिया तक पहुंच गया है। बेटे के पदक जीतने की बेहद खुशी है।