शिक्षा विभाग को आई स्कूलों की रिपेयर की याद, 1418 मॉडल स्कूलों के लिए साढ़े तीन करोड़ का बजट जारी
प्रत्येक स्कूल में 25 हजार रुपये की राशि खर्च करनी होगी। स्कूल मुखियाओं को उक्त राशि माइनर रिपेयर में ही प्रयोग करनी होगी। अगर किसी मुखिया ने इस मामले में ढिलाई या अनियमितता बरती तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।;
पुरुषोत्तम तंवर : भिवानी
शिक्षा विभाग ने पहली बार स्कूलों की माइनर रिपेयर की याद आई है। स्कूलों में अब टूटे स्वीच बोर्ड, लटकतें बिजली, पाइप लाइन से छूटते पानी के फव्वारे व नलों से टपकतें पानी को बंद करने की तैयारी कर ली है। जिसके चलते शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 1418 राजकीय मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल (जीएमएसपीएस) की माइनर रिपेयर के लिए करीब साढे तीन करोड़ रुपये की राशि का बजट जारी किया है। जो कि प्रत्येक स्कूल में 25 हजार रुपये की राशि खर्च करनी होगी। स्कूल मुखियाओं को उक्त राशि माइनर रिपेयर में ही प्रयोग करनी होगी। अगर किसी मुखिया ने इस मामले में ढिलाई या अनियमितता बरती तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार विगत में शिक्षा विभाग के पास स्कूलों में बिजली की लटकती तारे, खराब पंखे, बिजली के खराब स्वीचों की शिकायत पहुंची थी। शिकायत मिलने के बाद शिक्षा विभाग ने सबसे पहले मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूलों की माइनर रिपेयर कराए जाने का फैसला लिया है। फैसले के मुताबिक इन स्कूलों में बिजली के खराब स्वीचों को बदलवाया जाएगा। इनके अलावा टूटे हुए बिजली के बोर्ड, लटकतें तारों को दुरुस्त करवाने, खराब पंखों को ठीक करवाने, एलईडी लगवाने, पानी की लिकेज लाइन को दुरुस्त करवाने तथा नलों से टपकता पानी बंद करवाए जाने की योजना है।
ताकि नलों से लगातार पानी टपकने की वजह से स्कूलों में पानी की टंकियों का पानी खत्म हो जाता है। जिसके चलते बच्चों को पीने के पानी की समस्या से जुझना पड़ता है,लेकिन शिक्षा विभाग ने मॉडल प्राइमरी स्कूलों में उक्त कार्य के लिए 25 हजार रुपये का बजट जारी किया है। इनके अलावा स्कूल में बच्चों के लॉकर व पीजन हॉल आदि की मरम्मत कराई जाएगी। भेजे निर्देशों में कहा गया है कि जो राशि भेजी जाएगी। उस राशि को शीघ्र उक्त कार्यों पर लगाया जाए। ताकि स्कूल में बच्चों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना न पड़े।
क्या है पीजन हॉल व स्टूडेंट लॉकर
विगत में शिक्षा विभाग ने प्रदेश के कुछ प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम लागू किया था। साथ ही उस स्कूल के बच्चों को बैगलेस की भी व्यवस्था की गई थी। उस व्यवस्था को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग ने स्कूलों में बच्चों को अपनी किताबें व अन्य सामान रखने के लिए लॉकर उपलब्ध करवाए थे। कुछ स्कूलों में बच्चों को लौहे के पीजन हॉल उपलब्ध करवाए थे। हालांकि बाद में शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों को मॉडल संस्कृति स्कूलों में कनवर्ट कर दिया, लेकिन अभी भी उन स्कूलों में पीजन हॉल व स्टूडेंट लॉकर उपलब्ध है। जिनकी मरम्मत या टूट फूट दुरुस्त करवाई जानी है।