हौसला बुलंद हो तो कोई कार्य असंभव नहीं : किसान की बेटी प्रेरणा आर्य ने पहली बार में पास की न्यायिक सेवा परीक्षा, जानिए- कैसे पाई सफलता

राजेश आर्य ने बताया कि उनकी बेटी प्ररेणा आर्य ने कक्षा छठीं से ही जज बनने का अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। कक्षा 10वीं की परीक्षा में उसने 98.7 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे।;

Update: 2022-10-19 07:54 GMT

हरिभूमि न्यूज. यमुनानगर

हौसले बुलंद हों और कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी कठिन से कठिन लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है। इसका उद्हारण जिले के गांव अलाहर की किसान की बेटी प्रेरणा आर्य ने पहली बार दी न्यायिक सेवा परीक्षा पास करके दिखा दिया है। किसान की बेटी द्वारा जज की परीक्षा पास करने पर इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है।

अलाहर गांव निवासी एवं प्रेरणा के पिता राजेश आर्य किसानी के साथ गुरुग्राम में एक निजी ऑटो कंपनी में नौकरी करते हैं। जबकि प्रेरणा की मां सुधा आर्य गृहणी है। प्ररेणा का छोटा भाई दसवीं कक्षा में पढ़ रहा है। राजेश आर्य ने बताया कि उनकी बेटी प्ररेणा आर्य ने कक्षा छठीं से ही जज बनने का अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। कक्षा 10वीं की परीक्षा में उसने 98.7 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। मगर उसने किसी अन्य संकाय में दाखिला ना लेकर केवल आटर्स संकाय में दाखिला लेने में प्राथमिकता दिखाई थी। प्रेरणा ने 12वीं में बेहतर अंक प्राप्त कर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी की तैयारी शुरू की। एलएलबी में उत्तीर्ण होने के बाद वर्ष 2020 में प्रेरणा ने एलएलएम की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। इसके बाद वह न्यायिक सेवा परीक्षा देने के लिए तैयारियों में जुट गई। पहले प्ररेणा ने राजस्थान से न्यायिक सेवा परीक्षा दी। लेकिन उसमें उसे सफलता नहीं मिली। मगर उसने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा परीक्षा की तैयारी करने लगी। दूसरी बार उसने हरियाणा द्वारा आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा में भाग लेकर उसे पास करने में सफलता प्राप्त कर ली।

जज की परीक्षा के लिए 12 से 14 घंटे रोजाना की पढ़ाई

प्रेरणा आर्य के पिता राजेश आर्य ने बताया कि उसकी बेटी शुरु से ही पढ़ाई पर अपना ध्यान केंद्रित रखती थी। मोबाइल से दूरी रखकर वह 12 से 14 घंटे तक अपनी पढ़ाई करने में लगी रहती थी। छुट्टी के दिनों में जब वह गांव आती थी तो यहां पर भी शिक्षा पर ही ध्यान देती थी। घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलती थी। दोस्ताें व रिश्तेदारों से मिलना भी कम था। उनका एक ही लक्ष्य था कि उसे न्यायिक सेवा परीक्षा पास करनी है और उसने कर दिखाया।


यमुनानगर के गांव अलाहर में जज बनी किसान की बेटी प्रेरणा को आर्शीवाद देते हुए उसके परिजन।

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