किसान के बेटे दीपक ने फ्रेंडशिप चोटी पर लहराया तिरंगा, अब एवरेस्ट फतह का सपना

दीपक ने बताया कि उसका पिता दो एकड़ जमीन में खेती कर परिवार का गुजर बसर करने के साथ साथ उनके इस काम में साथ देता रहा। यहां तक का सफर उसने बगैर किसी ट्रेनिंग के पार किया;

Update: 2022-06-29 07:03 GMT

हरिभूमि न्यूज महम

गरीबी में पले बढ़े एक छोटे से किसान के बेटे ने एक मुश्किल काम को आसान करने की ठान ली है। कुछ हद तक वह इसमें कामयाब होता भी दिखाई दे रहा है। खंड के गांव सैमाण में ओमबीर सिवाच के घर पैदा हुआ दीपक अपनी स्नातक की पढ़ाई के साथ साथ कुछ कर गुजरने का मादा रखता है। दीपक को पता ही नहीं कब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का शौक हो गया। इस सपने को साकार करने के लिए उसने जी तोड़ मेहनत भी की है। पहली कोशिश में उसने हिमाचल के मनाली में स्थित 17352 फिट ऊंची चोटी पर देश का तिरंगा लहरा दिया। उसके बाद उसका जज्बा और जुनून और बढ़ गया। हाड कंपकंपा देने वाली सर्दी व तेज चलती ठंडी हवाओं के बीच उसने यह रास्ता सहज ही तय कर लिया।

दीपक ने बताया कि उसका पिता दो एकड़ जमीन में खेती कर परिवार का गुजर बसर करने के साथ साथ उनके इस काम में साथ देता रहा। यहां तक का सफर उसने बगैर किसी ट्रेनिंग के पार किया । लेकिन आगे का रास्ता तय करने के लिए उसके रास्ते में कमजोर आर्थिक स्थित आकर खड़ी हो गई है। बताया कि अब इसके आगे की चढ़ाई करने के लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत होती है। जो रूस में करवाई जाती है। इसके अलावा पर्वतारोही के लिए जरूरी सामान खरीदना व सरकार से जरूरी कागजात तैयार करवाना ही उसके चुनौती से कम नहीं है। बताया कि इस सब कार्य के लिए कम से कम 40 लाख रुपए का खर्च आ सकता है। जो दो एकड़ के किसान के लिए संभव नहीं है। उसके बावजूद भी वह इस काम में लगा हुआ है । दीपक का कहना है कि इसके लिए कितनी भी बाधा आए वह इसमें निरंतर प्रयास करता रहेगा।


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