पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह ने भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्यता लेना अस्वीकार किया
वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते इतना अधिक विरोध है कि पुलिस सुरक्षा में राजनीतिक करनी पड़ती है। मैंने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की है। मैं हमेशा लोगों के मुद्दे उठाता रहा हूं चाहे किसी भी सरकार में रहा हो या फिर विपक्ष में रहा हो । उन्होंने ने कहा कि मैं पार्टी द्वारा दिए जाने वाले इस पद को क्या फायदा दूंगा।;
हिसार : पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता प्रोफेसर संपत सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी से कोई नाराजगी नहीं है लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते जो पद पार्टी ने उन्हें दिया है वह इस पद के साथ न्याय नहीं कर सकते इसलिए उन्होंने भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्यता लेना अस्वीकार कर दिया।
अपने आवास पर हरिभूमि के साथ विशेष बातचीत में कहा कि वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते इतना अधिक विरोध है कि पुलिस सुरक्षा में राजनीतिक करनी पड़ती है। मैंने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की है । मैं हमेशा लोगों के मुद्दे उठाता रहा हूं चाहे किसी भी सरकार में रहा हो या फिर विपक्ष में रहा हो । उन्होंने ने कहा कि मैं पार्टी द्वारा दिए जाने वाले इस पद को क्या फायदा दूंगा। मैं लोगों में जा नहीं सकता अगर मैं जाना चाहूं तो मुझे पुलिस प्रोटेक्शन चाहिए ऐसी राजनीति मैं नहीं करता। परिस्थितियां ठीक होने पर पार्टी की तरफ से जो जिम्मेवारी मुझे मिलेगी वह मैं जरूर लूंगा।
उन्होंने किसानों का समर्थन करने की एक बार फिर बात दोराई और कहा कि मैं किसान परिवार से हूं पहले मैं किसान हूं। मेरा सरकार से निवेदन है कि जल्द से जल्द कोई हल निकाले। किसानों को आंदोलन किए हुए 7 माह हो चुके हैं सरकार को बात करनी चाहिए यह सरकार के वोटर हैं। इन्हीं की वजह से सत्ता मिली है, अगर वोटर नहीं तो ये देश के नागरिक हैं। फिर से बातचीत का दौर चलना चाहिए बातचीत में जो निचोड़ निकले उस पर विचार करते हुए इस मुद्दे को हल करना चाहिए।
प्रोफेसर संपत सिंह ने कहा कि आज जो धरने पर बैठे हैं मेरा मानना है वह 100 फ़ीसदी किसान है क्योंकि जब से किसानों ने कहा है कि उनके मंच पर राजनीतिक लोग नहीं आएंगे तब से वहां कोई राजनेता नहीं जा रहा।
पूर्व मंत्री ने पिछले दिनों हिसार में प्रदेश कार्यकारिणी की सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पार्टी को पुलिस सुरक्षा में बैठक करनी पड़ी। पुलिस सुरक्षा में बैठक करने का मतलब लोगों को परेशान करना है। हम औरों को तो राय देते हैं कि भीड़ इकट्ठा ना करें और खुद मीटिंग करके करते हैं यह ठीक नहीं। प्रोटोकॉल के अनुसार मीटिंग में कितने लोग थे यह भी सबको पता है।पार्टी उन्हें जो पद दे रही है उसके हिसाब से उन्हें जनता के बीच में जाना होगा लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां यह कहती है कि बिना पुलिस सुरक्षा के कोई राजनीति कार्यक्रम नहीं किया जा सकता।