दिवाली पर नेत्रहीन मां के जीवन में उजाला लाई हरियाणा पुलिस, 10 साल से लापता बेटे को ढूंढ निकाला, ऐसे मिली सफलता
नेत्रहीन मां ने बताया कि मैं देख नहीं सकती हूं पर अपने बच्चे को महसूस कर सकती हूं। बेटे के पिता का भी उसके इंतज़ार में देहांत हो गया था। स्टेट क्राइम ब्रांच ने दिन- रात एक कर मात्र एक महीने में ही 10 साल से गुमशुदा बेटे को ढूंढ निकाला।;
चंडीगढ़। स्टेट क्राइम ब्रांच, हरियाणा ने दिवाली पर एक नेत्रहीन मां को उसके 10 साल से लापता बेटे से मिलवाकर ज़िन्दगी में एक नया उजाला ला दिया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया की 19 वर्षीय आकाश यमुनानगर से 2013 में गुमशुदा हुआ था। स्टेट क्राइम ब्रांच चीफ, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने केस की ज़िम्मेदारी पंचकूला एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में तैनात एएसआई राजेश कुमार को सौंपी। इसके अलावा केस को प्राथमिकता से काम करने के आदेश दिए गए।
माँ ने कहा था- देख नहीं सकती, बेटे को महसूस कर सकती हूं
उक्त मुकदमे की फाइल की फाइल पर काम करते हुए एएसआई राजेश कुमार ने गुमशुदा आकाश के बारे में बारीकी जानकारी प्राप्त की। नेत्रहीन मां ने बताया कि मैं देख नहीं सकती हूं पर अपने बच्चे को महसूस कर सकती हूं। बेटे के पिता का भी उसके इंतज़ार में देहांत हो गया था। मैं नहीं मानती की मेरे बेटे को अब कोई ढूंढ सकता है। स्टेट क्राइम ब्रांच ने दिन- रात एक कर मात्र 1 महीने में ही 10 साल से गुमशुदा बेटे को लखनऊ से ढूंढ निकाला।
कमर पर था चोट का निशान, पोस्टर लगाकर लखनऊ में ढूंढा, नाम बदलकर रह रहा था
गुमशुदा लड़के की मां से बातचीत के दौरान पता चला कि उसकी कमर पर नीचे एक चोट का निशान है और थोड़ा मानसिक परेशान भी है। इसी आधार पर उसे पहचाना जा सकता है। इसी क्लू पर पुलिस ने काम करना शुरू किया। एएसआई राजेश कुमार ने बच्चे के पुराने फोटो के आधार पर पोस्टर तैयार कर मुख्य रेलवे स्टेशन जैसे दिल्ली, जयपुर, कोलकाता , मुंबई, कानपुर, शिमला, लखनऊ पर लगवाए गए। इसी दौरान लखनऊ के बाल देख रेख संगठन के अधीक्षक अनिल द्वारा राजेश कुमार से सम्पर्क साधा गया जिसमें बताया गया की इस हुलिए और निशान का लड़का हमारे यहां पर रह रहा है और यह बच्चा हमारे पास देवरिया से आया है। इस लड़के को गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए चाइल्डलाइन ने रेस्क्यू किया था लेकिन ये लड़का नाम मनीष बताता है।
इसके अलावा अधीक्षक ने बताया की ये लड़का अपने पिता का नाम नाथीराम बताता है और इसे नहीं पता ये कहां का रहने वाला है। इसी आधार पर राजेश कुमार द्वारा फोटो के निशान से लड़के की कमर पर बने निशान का मिलान किया गया जो की एक जैसे ही पाए गए। इसके अलावा लड़के ने बताया था कि उसकी मां देख नहीं सकती थी, बस इतना ही याद है। इन बातों से पुष्टि होने के बाद परिवार में गुमशुदा लड़के की मां और उसके भाई विकास को लेकर उपरोक्त चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूट में पहुंचे जहां बच्चे ने अच्छे से अपने परिवार को पहचाना। सभी कार्यवाही के बाद सीडब्ल्यूसी लखनऊ के आदेश से 19 वर्षीय गुमशुदा आकाश उर्फ मनीष को परिवार के सुपुर्द किया गया।
अतिरिक्त महानिदेशक, क्राइम ने दिए थे दोबारा फाइल खोलने के आदेश, 2015 में हो गई थी बंद
गुमशुदा लड़के के पिता नाथीराम वासी बाडी माजरा यमुनानगर ने 01.05.2013 को थाने में शिकायत दी थी कि उसका 10 साल का बेटा घर से बिना बताए कहीं चला गया। मेरे बेटे का नाम आकाश है। मैंने उसे अपने स्तर खूब ढूंढा लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। पीड़ित की दरख्वास्त पर थाना सदर यमुनानगर में केस दर्ज किया गया। जिला पुलिस ने अपने तौर पर बच्चे को बहुत तलाश किया पर तलाश नहीं कर पाने के कारण इस केस में अनट्रेस रिपोर्ट 2013 के अंत में लिख दी गई जिसके कारण फाइल को बंद कर दिया गया। इसी दौरान गुमशुदा के पिता का भी देहांत हो गया। परिवार के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए अतिरिक्त महानिदेशक, क्राइम ने इस फाइल पर दोबारा काम करने के आदेश दिए गए। जिस पर पुरे केस को शुरू से समझते हुए, स्टेट क्राइम ब्रांच ने बच्चे को 10 साल बाद ढूंढ निकाला।
सितंबर में स्टेट क्राइम ब्रांच ने ढूंढे 57 नाबालिग बच्चे, 83 बाल भिखारी किए रेस्क्यू
स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने सितंबर माह में ही 57 बच्चे बचाने में सफलता हासिल की है जिनमें 33 नाबालिग लड़के व 24 नाबालिग लड़कियां थी। इसके अलावा करीबन इसी माह में 22 पुरुष व 32 महिलाओं को उनके परिवार से मिलवाया है। वहीँ 83 बाल भिखारियों को और 49 बाल मज़दूरों को रेस्क्यू किया गया है।